' जोखिम तो सभी कार्यों के लिए उठाना पड़ता है परन्तु दूसरों की भलाई के लिये उठाई जाने वाली जोखिम सबसे श्रेष्ठ है । '
हैलनैथन ने पढ़-लिखकर अपने लिए अध्यापन का पेशा चुना, उन ने अपने छात्रों के लिए शिक्षण की अनूठी शैली अपनाई । तथ्यों की जानकारी के अलावा वे अपने व्यक्तित्व से ही छात्रों का शिक्षण करते थे । उज्जवल चरित्र, आदर्श कर्तव्य, देशभक्ति, समाज सेवा और राष्ट्रीयता कि भावना का विकास उनके सम्पर्क में रहने वाले छात्रों में अपने आप ही होने लगता । उस समय जार्ज वाशिंग्टन के नेतृत्व में स्वतंत्रता-युद्ध का उद्घोष हुआ । अनेक उत्साही व्यक्तियों के साथ हैलनैथन भी स्वतंत्रता-संग्राम में कूद पड़े । उनके साहस, शौर्य और उत्साह ने उन्हें जार्ज वाशिंगटन के साथ लड़ने वाली अग्रपंक्ति में पहुँचा दिया ।
जब आइलैंड के मोर्चे पर पराजय की स्थिति आई तो भी हैल ने बढ़ा-चढ़ा उत्साह दिखाया । वे एक डच अध्यापक का वेश बनाकर ब्रिटिश लाइनों में पहुँचे और ब्रिटिश सेनाओं के भेद लाने की जोखिम का कार्य इतनी कुशलता क साथ निभाया कि किसी को भी संदेह न हुआ | इस प्रकार सैनिक रहस्य स्वतंत्रता सेनानियों के पास पहुँचते रहे और उन्हें विजय भी मिलती रही |
बार-बार मिलने वाली पराजय और उनके कारणों को जानने के लिए ब्रिटिश सैनिक अधिकारियों की पैनी द्रष्टि ने हैलनैथन का रहस्य खोल दिया और वे गिरफ्तार कर लिए गये | युद्ध नियमों के अनुसार उन्हें मृत्यु-दंड दिया गया | उस समय हैलनैथन ने जो शब्द कहे वे असंख्य देशभक्तों और समाज सेवियों के लिये प्रेरणा बन गये | उन्होंने कहा---- " मुझे अफसोस है तो सिर्फ एक बात का कि मेरे पास अपने देश के लिए, अपने समाज के लिए न्योछावर करने हेतु एक ही जीवन है l "
राष्ट्रहित के लिए, समाज हित के लिए स्वयं के जीवन को समर्पित करने वाले हैलनैथन का नाम अमेरिकावासी श्रद्धा और आदर के साथ लेते हैं l
हैलनैथन ने पढ़-लिखकर अपने लिए अध्यापन का पेशा चुना, उन ने अपने छात्रों के लिए शिक्षण की अनूठी शैली अपनाई । तथ्यों की जानकारी के अलावा वे अपने व्यक्तित्व से ही छात्रों का शिक्षण करते थे । उज्जवल चरित्र, आदर्श कर्तव्य, देशभक्ति, समाज सेवा और राष्ट्रीयता कि भावना का विकास उनके सम्पर्क में रहने वाले छात्रों में अपने आप ही होने लगता । उस समय जार्ज वाशिंग्टन के नेतृत्व में स्वतंत्रता-युद्ध का उद्घोष हुआ । अनेक उत्साही व्यक्तियों के साथ हैलनैथन भी स्वतंत्रता-संग्राम में कूद पड़े । उनके साहस, शौर्य और उत्साह ने उन्हें जार्ज वाशिंगटन के साथ लड़ने वाली अग्रपंक्ति में पहुँचा दिया ।
जब आइलैंड के मोर्चे पर पराजय की स्थिति आई तो भी हैल ने बढ़ा-चढ़ा उत्साह दिखाया । वे एक डच अध्यापक का वेश बनाकर ब्रिटिश लाइनों में पहुँचे और ब्रिटिश सेनाओं के भेद लाने की जोखिम का कार्य इतनी कुशलता क साथ निभाया कि किसी को भी संदेह न हुआ | इस प्रकार सैनिक रहस्य स्वतंत्रता सेनानियों के पास पहुँचते रहे और उन्हें विजय भी मिलती रही |
बार-बार मिलने वाली पराजय और उनके कारणों को जानने के लिए ब्रिटिश सैनिक अधिकारियों की पैनी द्रष्टि ने हैलनैथन का रहस्य खोल दिया और वे गिरफ्तार कर लिए गये | युद्ध नियमों के अनुसार उन्हें मृत्यु-दंड दिया गया | उस समय हैलनैथन ने जो शब्द कहे वे असंख्य देशभक्तों और समाज सेवियों के लिये प्रेरणा बन गये | उन्होंने कहा---- " मुझे अफसोस है तो सिर्फ एक बात का कि मेरे पास अपने देश के लिए, अपने समाज के लिए न्योछावर करने हेतु एक ही जीवन है l "
राष्ट्रहित के लिए, समाज हित के लिए स्वयं के जीवन को समर्पित करने वाले हैलनैथन का नाम अमेरिकावासी श्रद्धा और आदर के साथ लेते हैं l
No comments:
Post a Comment