' सम्पन्न और समृद्ध लोगों को धर्म शिक्षण हर कोई देता है पर ऐसे विरले ही होते हैं जो दीन-दुःखियों और पथ-भ्रमितों की ओर ध्यान देते हैं ।
जिम्मी बटरवर्थ गरीब वर्ग के किशोरों की दयनीय स्थिति से बहुत दुःखी रहते थे । 19 वर्ष की आयु में वह लंदन स्थित एक चर्च में पादरी बन गये, वह ऐसे लोगों के लिए कार्य करना चाहते थे जो सब ओर से उपेक्षित हों । उन्होंने गरीब ओर निम्न मध्यम वर्ग के किशोरों का निर्माण करने की, उन्हें मानवोचित जीवन जीने की राह बताने की योजना बनाई । उन्होने एक टूटे और वीरान मकान मे जों गरीबों की बस्ती के पास था , सिर्फ पांच पौंड और छह गरीब वर्ग के लड़कों के साथ किशोरों के ' क्लब लैण्ड ' की स्थपाना की । इसमें फ़ादर जिम्मी उन्हें उपासना कराते, खेल खिलाते और जीवन जीने की राह बताते ।
यह क्लब लैण्ड आगे चलकर अपनी गतिविधियों के कारण सारे इंग्लैंड में विख्यात हुआ तथा हजारों साधनहीन किशोरों के उज्जवल भविष्य का भाग्य विधायक बना | फादर जिम्मी की लगन, निष्ठा और परिश्रम से क्लब लैण्ड ने इतनी प्रगति कर ली कि उसके चर्चे सारे देश में होने लगे, 1945 तक इसमें सभागृह, खेल का मैदान, कर्मशाला आदि सभी कुछ बन चुके थे । यह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों साधनाओं की संतुलित शिक्षणशाला बन चुका था किन्तु उनकी इन बीस वर्षों की तपस्या कों युद्ध की विभीषिका ने , जर्मन बमबारी ने बीस सेकंड में नष्ट कर दिया ।
कल तक जहां सब कुछ रमणीक था वहां आज खण्डहर खड़ा विनाश की कहानी कह रहा था । फादर जिम्मी क्लब लैण्ड की दुर्दशा देख रो पड़े । फादर को उन सैकड़ों किशोरों ने घेर लिया, क्लब लैण्ड जिनकी आशाओं का केन्द्र था । फादर ने कहा--- " हमारे क्लब लैण्ड का भवन ही धराशायी हुआ है, हमारे संकल्प नहीं टूटे हैं । कल यहां भवन था, आज खण्डहर है, कल फिर भव्य भवन होगा, हमे हिम्मत नहीं हारनी चाहिए | "उनके आशा भर वचन सुनकर निराशा के बादल छंट गये ।
व्यक्तिगत चंदे से क्लब लैण्ड का पुनर्निर्माण आरम्भ हो गया । फादर जिम्मी ने अमेरिका जाकर धन संग्रह करने की सोची । जन-सेवा का लक्ष्य रखकर भीख भी मांगी जाए तो वह पुण्य होता है ।
अमेरिका में उन्हें एक दाता ऐसा मिला कि उसने उनको इतना देने का वादा किया कि उन्हें और अधिक झोली नहीं फैलानी पड़ी, यह दाता था---- हालीवुड का प्रसिद्ध हास्य अभिनेता बाव होप ।
उसने दो सप्ताह तक प्रिंस ऑफ वेल्स थियेटर में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करके 11500 पौंड कि जो धनराशि प्राप्त की वह सम्पूर्ण राशि क्लब लैण्ड को दे दी । और इसी के साथ उनने प्रतिवर्ष दो सप्ताह तक लन्दन में कार्यक्रम प्रस्तुत करके उपार्जित राशि क्लब लैण्ड को देने की परम्परा ही चला दी, उसे तब तक निभाया जब तक उसकी आवश्यकताएं पूरी नहीं हुईं ।
फादर जिम्मी ने जन कल्याण हेतु समर्पित जीवन का एक आदर्श प्रस्तुत किया ।
जिम्मी बटरवर्थ गरीब वर्ग के किशोरों की दयनीय स्थिति से बहुत दुःखी रहते थे । 19 वर्ष की आयु में वह लंदन स्थित एक चर्च में पादरी बन गये, वह ऐसे लोगों के लिए कार्य करना चाहते थे जो सब ओर से उपेक्षित हों । उन्होंने गरीब ओर निम्न मध्यम वर्ग के किशोरों का निर्माण करने की, उन्हें मानवोचित जीवन जीने की राह बताने की योजना बनाई । उन्होने एक टूटे और वीरान मकान मे जों गरीबों की बस्ती के पास था , सिर्फ पांच पौंड और छह गरीब वर्ग के लड़कों के साथ किशोरों के ' क्लब लैण्ड ' की स्थपाना की । इसमें फ़ादर जिम्मी उन्हें उपासना कराते, खेल खिलाते और जीवन जीने की राह बताते ।
यह क्लब लैण्ड आगे चलकर अपनी गतिविधियों के कारण सारे इंग्लैंड में विख्यात हुआ तथा हजारों साधनहीन किशोरों के उज्जवल भविष्य का भाग्य विधायक बना | फादर जिम्मी की लगन, निष्ठा और परिश्रम से क्लब लैण्ड ने इतनी प्रगति कर ली कि उसके चर्चे सारे देश में होने लगे, 1945 तक इसमें सभागृह, खेल का मैदान, कर्मशाला आदि सभी कुछ बन चुके थे । यह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों साधनाओं की संतुलित शिक्षणशाला बन चुका था किन्तु उनकी इन बीस वर्षों की तपस्या कों युद्ध की विभीषिका ने , जर्मन बमबारी ने बीस सेकंड में नष्ट कर दिया ।
कल तक जहां सब कुछ रमणीक था वहां आज खण्डहर खड़ा विनाश की कहानी कह रहा था । फादर जिम्मी क्लब लैण्ड की दुर्दशा देख रो पड़े । फादर को उन सैकड़ों किशोरों ने घेर लिया, क्लब लैण्ड जिनकी आशाओं का केन्द्र था । फादर ने कहा--- " हमारे क्लब लैण्ड का भवन ही धराशायी हुआ है, हमारे संकल्प नहीं टूटे हैं । कल यहां भवन था, आज खण्डहर है, कल फिर भव्य भवन होगा, हमे हिम्मत नहीं हारनी चाहिए | "उनके आशा भर वचन सुनकर निराशा के बादल छंट गये ।
व्यक्तिगत चंदे से क्लब लैण्ड का पुनर्निर्माण आरम्भ हो गया । फादर जिम्मी ने अमेरिका जाकर धन संग्रह करने की सोची । जन-सेवा का लक्ष्य रखकर भीख भी मांगी जाए तो वह पुण्य होता है ।
अमेरिका में उन्हें एक दाता ऐसा मिला कि उसने उनको इतना देने का वादा किया कि उन्हें और अधिक झोली नहीं फैलानी पड़ी, यह दाता था---- हालीवुड का प्रसिद्ध हास्य अभिनेता बाव होप ।
उसने दो सप्ताह तक प्रिंस ऑफ वेल्स थियेटर में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करके 11500 पौंड कि जो धनराशि प्राप्त की वह सम्पूर्ण राशि क्लब लैण्ड को दे दी । और इसी के साथ उनने प्रतिवर्ष दो सप्ताह तक लन्दन में कार्यक्रम प्रस्तुत करके उपार्जित राशि क्लब लैण्ड को देने की परम्परा ही चला दी, उसे तब तक निभाया जब तक उसकी आवश्यकताएं पूरी नहीं हुईं ।
फादर जिम्मी ने जन कल्याण हेतु समर्पित जीवन का एक आदर्श प्रस्तुत किया ।
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