देवताओं की भोगवृति , नृत्य , राग-रंग में सब कुछ भूल जाना एवं लापरवाही से इन्द्रलोक में घोर अव्यवस्था थी और इसी कारण धरती पर समय पर वर्षा ना होना, अकाल पड़ना, मौसम चक्र में परिवर्तन आ जाना आदि अनेक व्यतिक्रम आ गये थे । इन्द्रलोक के उस कुशासन को सुशासन में परिवर्तित करने के लिए राजा बलि ने इन्द्रलोक पर आक्रमण कर देवताओं को पराजित कर दिया ।
परन्तु राजा बलि ने देवताओं को भागने नहीं दिया । स्वयं राजा बलि ने देवताओं को आमंत्रित कर उन्हें उनकी जिम्मेदारी निर्वहन का आदेश दिया । पवन, वरुण, इन्द्र आदि सभी देवों को अपने उत्तरदायित्व को निभाना पड़ रहा था । कहीं कोई भी अपने कार्य में आलस्य-प्रमाद नही कर रहा था ।
न्यायप्रिय एवं सुशासन के प्रतीक राजा बलि ने इन्द्रलोक की व्यवस्था ही बदल दी । जहाँ प्रात:-सांय नृत्य की झंकार सुनाई देती थी, वहां वेद-मन्त्रों का दिव्य उच्चारण होने लगा, राजसिक वातावरण सात्विकता में परिवर्तित होने लगा । स्वर्ग के सभी संसाधनों का सदुपयोग किया जाने लगा । इससे स्वर्गीय सौन्दर्य और आभा में पवित्रता एवं दिव्यता भरने लगी ।
इस वजह से धरती पर भी पर्यावरणीय संतुलन पैदा होने लगा । मौसम चक्र का समय पर आना, अन्न, फल, दूध आदि की भरपूर पैदावार होना धरती के लिए समृद्धि का कारण बना ।
कथा का सार यही है कि जब सब लोग अपनी-अपनी जिम्मेदारी पूर्ण कुशलता से निभाएंगे कोई आलस व कामचोरी नहीं करेगा तभी धरती पर सुख-शान्ति व समृद्धि होगी ।
परन्तु राजा बलि ने देवताओं को भागने नहीं दिया । स्वयं राजा बलि ने देवताओं को आमंत्रित कर उन्हें उनकी जिम्मेदारी निर्वहन का आदेश दिया । पवन, वरुण, इन्द्र आदि सभी देवों को अपने उत्तरदायित्व को निभाना पड़ रहा था । कहीं कोई भी अपने कार्य में आलस्य-प्रमाद नही कर रहा था ।
न्यायप्रिय एवं सुशासन के प्रतीक राजा बलि ने इन्द्रलोक की व्यवस्था ही बदल दी । जहाँ प्रात:-सांय नृत्य की झंकार सुनाई देती थी, वहां वेद-मन्त्रों का दिव्य उच्चारण होने लगा, राजसिक वातावरण सात्विकता में परिवर्तित होने लगा । स्वर्ग के सभी संसाधनों का सदुपयोग किया जाने लगा । इससे स्वर्गीय सौन्दर्य और आभा में पवित्रता एवं दिव्यता भरने लगी ।
इस वजह से धरती पर भी पर्यावरणीय संतुलन पैदा होने लगा । मौसम चक्र का समय पर आना, अन्न, फल, दूध आदि की भरपूर पैदावार होना धरती के लिए समृद्धि का कारण बना ।
कथा का सार यही है कि जब सब लोग अपनी-अपनी जिम्मेदारी पूर्ण कुशलता से निभाएंगे कोई आलस व कामचोरी नहीं करेगा तभी धरती पर सुख-शान्ति व समृद्धि होगी ।
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