' अपने पुरुषार्थ , पराक्रम और शक्ति का व्यक्तित्व की परिधि से बाहर निकलकर सर्वहित के लिए समर्पण करना ------ व्यक्ति को इतिहास पुरुष बनाने में समर्थ होता है | देश - प्रेम , स्वतंत्रता की रक्षा , संस्कृति और धर्म के क्षरण को रोकने के लिए जिन - जिन महापुरुषों ने भी बलिदान किये हैं वे भले ही स्थूल जीवन का आनंद अधिक समय तक न ले सके हों पर काल पर विजय प्राप्त कर महामानव बनने का श्रेय उन्हें ही प्राप्त होता रहा है | '
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