अधिकांश लोगों में कृत्रिमता दिखाई पड़ती है , उनके विचारों और प्रतिज्ञाओं में मौलिकता का अभाव
रहता है । व्यक्ति मरते समय भी आत्म - निरीक्षण नहीं करना चाहता बल्कि यह सोचता है कि उसकी शव - यात्रा में कितने लोग सम्मिलित होंगे ।
अपने विचारों की सत्यता जानने के लिए हमें अपनी आत्मा से ही पूछना चाहिए । आत्मा से हमें उन प्रश्नों का उत्तर मिलता है जो चेतन जगत से हमें प्राप्त नहीं होते ।
रहता है । व्यक्ति मरते समय भी आत्म - निरीक्षण नहीं करना चाहता बल्कि यह सोचता है कि उसकी शव - यात्रा में कितने लोग सम्मिलित होंगे ।
अपने विचारों की सत्यता जानने के लिए हमें अपनी आत्मा से ही पूछना चाहिए । आत्मा से हमें उन प्रश्नों का उत्तर मिलता है जो चेतन जगत से हमें प्राप्त नहीं होते ।
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