' अपनी प्रतिभा और बौद्धिक क्षमता से देश और समाज को समय - समय पर सावधान करते रहने वाले राजाजी भारत के अंतिम तथा सर्वप्रथम गवर्नर जनरल बने ।
भारतीय जब हिन्दी चीनी भाई - भाई का नारा लगा रहे थे और एक दुसरे के गले में हाथ डाले शान्ति , मैत्री का रेतीला वादा कर रहे थे तो राजाजी ने इस दोस्ती को बहुत थोड़े समय तक कायम रहने वाली और अंत में शत्रुता में बदल जाने वाली कहा था । उस समय उनकी बातों को उपहासास्पद कहा गया था , परन्तु वे सच निकली । राजाजी अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में इतने जागरूक तथा सावधान रहे कि उन्होंने परिस्थितियों का अध्ययन कर समय से पहले ही जो बातें कहीं थीं वे वस्तुतः सत्य सिद्ध हुईं । जीवन में हजारों कड़वे घूंट पीकर भी वे मीठे ही बने रहे ।
1908 में जब वे मद्रास प्रान्त के मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले उन्होंने हरिजनों के मंदिर प्रवेश का वैधानिक अधिकार दिलाया | शराब के विरुद्ध भी सर्वप्रथम उन्होंने ही आन्दोलन छेड़ा । जब वे मद्रास के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने शराबबंदी का कानून बनवाया । मद्दपान के वे आजीवन कट्टर विरोधी रहे और इस प्रश्न पर अपने प्रिय से प्रिय व्यक्ति का भी विरोध किया ।
राजनीति में भाग लेने के साथ - साथ उन्होंने साहित्य को भी दिशा दी । वे अंग्रेजी और तमिल भाषा के सिद्धहस्त लेखक थे । उनकी लिखी रामायण तथा महाभारत भारतीय भाषा साहित्य की अनमोल निधियां मानी जाती हैं । संसार के प्राचीन तथा अर्वाचीन ज्ञान - विज्ञान की धाराओं का अद्भुत समन्वय उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों को उपलब्ध कराया ।
भारतीय जब हिन्दी चीनी भाई - भाई का नारा लगा रहे थे और एक दुसरे के गले में हाथ डाले शान्ति , मैत्री का रेतीला वादा कर रहे थे तो राजाजी ने इस दोस्ती को बहुत थोड़े समय तक कायम रहने वाली और अंत में शत्रुता में बदल जाने वाली कहा था । उस समय उनकी बातों को उपहासास्पद कहा गया था , परन्तु वे सच निकली । राजाजी अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में इतने जागरूक तथा सावधान रहे कि उन्होंने परिस्थितियों का अध्ययन कर समय से पहले ही जो बातें कहीं थीं वे वस्तुतः सत्य सिद्ध हुईं । जीवन में हजारों कड़वे घूंट पीकर भी वे मीठे ही बने रहे ।
1908 में जब वे मद्रास प्रान्त के मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले उन्होंने हरिजनों के मंदिर प्रवेश का वैधानिक अधिकार दिलाया | शराब के विरुद्ध भी सर्वप्रथम उन्होंने ही आन्दोलन छेड़ा । जब वे मद्रास के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने शराबबंदी का कानून बनवाया । मद्दपान के वे आजीवन कट्टर विरोधी रहे और इस प्रश्न पर अपने प्रिय से प्रिय व्यक्ति का भी विरोध किया ।
राजनीति में भाग लेने के साथ - साथ उन्होंने साहित्य को भी दिशा दी । वे अंग्रेजी और तमिल भाषा के सिद्धहस्त लेखक थे । उनकी लिखी रामायण तथा महाभारत भारतीय भाषा साहित्य की अनमोल निधियां मानी जाती हैं । संसार के प्राचीन तथा अर्वाचीन ज्ञान - विज्ञान की धाराओं का अद्भुत समन्वय उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों को उपलब्ध कराया ।
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