विवेकवान , वे ही व्यक्ति हैं जो समझ में आ जाने पर ठीक बात को एक बार में ग्रहण कर गाँठ बाँध लेते हैं और गलत बात को सदा सर्वदा के लिए त्याग देते हैं । सरहदी गाँधी खान अब्दुल गफ्फार खां उन्ही विवेकवान व्यक्तियों में से थे ।
गरम खून वाली उस पठान जाति में जन्म लेकर , जिसके शब्दकोष में अहिंसा का बोधक कोई शब्द कभी नहीं रहा और जो सदा से ही शक्ति और शस्त्र में विश्वास करने वाली रही हो , खान अब्दुल गफ्फार खां ने जब से महात्मा गाँधी के संपर्क में आकर शान्ति और अहिंसा की महत्ता समझी उस दिन से सदा - सर्वदा के लिए एक शान्त संत की तरह अहिंसावादी बन गये और उस व्रत- भंग की हजारों परिस्थितियां आने पर भी अपने सिद्धांत पर अचल और अडिग बने रहे ।
सरहदी पठानों में जाग्रति लाने के लिए उन्होंने स्थान - स्थान पर स्कूल स्थापित कराये , वे स्वयं भी पाठशालाएं लगाते थे जिसमे अक्षर ज्ञान देने के साथ राष्ट्रीय शिक्षा भी देते थे | 1919 जब देश भर में स्वतंत्रता का आन्दोलन चल पड़ा तब उन्होंने सरहदी पठानों को उठाया , उनका आमंत्रण पाकर सरहद पर भी स्वतंत्रता का सिंहनाद गूंजने लगा तब खान अब्दुल गफ्फार खां को भी अंग्रेज सरकार ने जेल में डलवा दिया ।
उनके व्यक्तित्व से सरकार इतनी डर गई थी कि उन्हें बाँधने के लिए एक विशेष प्रकार की हथकड़ी - बेड़ियाँ बनवाई | उनका जीवन सत्य के लिए संघर्ष करने को समर्पित हो चुका था , उन्होंने प्रलोभन को कभी कोई महत्व नहीं दिया ।
गरम खून वाली उस पठान जाति में जन्म लेकर , जिसके शब्दकोष में अहिंसा का बोधक कोई शब्द कभी नहीं रहा और जो सदा से ही शक्ति और शस्त्र में विश्वास करने वाली रही हो , खान अब्दुल गफ्फार खां ने जब से महात्मा गाँधी के संपर्क में आकर शान्ति और अहिंसा की महत्ता समझी उस दिन से सदा - सर्वदा के लिए एक शान्त संत की तरह अहिंसावादी बन गये और उस व्रत- भंग की हजारों परिस्थितियां आने पर भी अपने सिद्धांत पर अचल और अडिग बने रहे ।
सरहदी पठानों में जाग्रति लाने के लिए उन्होंने स्थान - स्थान पर स्कूल स्थापित कराये , वे स्वयं भी पाठशालाएं लगाते थे जिसमे अक्षर ज्ञान देने के साथ राष्ट्रीय शिक्षा भी देते थे | 1919 जब देश भर में स्वतंत्रता का आन्दोलन चल पड़ा तब उन्होंने सरहदी पठानों को उठाया , उनका आमंत्रण पाकर सरहद पर भी स्वतंत्रता का सिंहनाद गूंजने लगा तब खान अब्दुल गफ्फार खां को भी अंग्रेज सरकार ने जेल में डलवा दिया ।
उनके व्यक्तित्व से सरकार इतनी डर गई थी कि उन्हें बाँधने के लिए एक विशेष प्रकार की हथकड़ी - बेड़ियाँ बनवाई | उनका जीवन सत्य के लिए संघर्ष करने को समर्पित हो चुका था , उन्होंने प्रलोभन को कभी कोई महत्व नहीं दिया ।
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