गरीब और असभ्य लोगों के , समाज के पीड़ित शोषित वर्ग के पक्ष में बोलने तथा उनमे अपने मानवीय अधिकारों की चेतना जाग्रत करने के फलस्वरूप खलील जिब्रान को स्वार्थ लोलुप अधिकारी वर्ग ने देश निकाला दे दिया | उस समय उन्होंने कहा ------ " लोग मुझे पागल समझते हैं कि मैं अपने जीवन को उनके सोने - चाँदी के कुछ टुकड़ों के बदले नहीं बेचता । और मैं इन्हें पागल समझता हूँ कि वे , मेरे जीवन को बिक्री की एक वस्तु समझते हैं । "
तत्कालीन समाज में फैली हुई रूढ़िवादिता , धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों तथा अव्यवस्थाओं को देखकर खलील जिब्रान ने विचार किया कि जब तक इन्हें दूर नहीं किया जायेगा , तब तक जीवन में विकृतियों की भरमार बनी ही रहेगी और समाज स्वस्थ वायु में साँस न ले सकेगा ।
अत: उन्होंने इन सबके विरुद्ध एक आन्दोलन छेड़ दिया ।
वे कहा करते थे ---- ' धर्म की सार्थकता इसी में है कि वह उन्नत और सदाचारी जीवन यापन की पद्धति को दर्शा सके |
तत्कालीन समाज में फैली हुई रूढ़िवादिता , धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों तथा अव्यवस्थाओं को देखकर खलील जिब्रान ने विचार किया कि जब तक इन्हें दूर नहीं किया जायेगा , तब तक जीवन में विकृतियों की भरमार बनी ही रहेगी और समाज स्वस्थ वायु में साँस न ले सकेगा ।
अत: उन्होंने इन सबके विरुद्ध एक आन्दोलन छेड़ दिया ।
वे कहा करते थे ---- ' धर्म की सार्थकता इसी में है कि वह उन्नत और सदाचारी जीवन यापन की पद्धति को दर्शा सके |
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