हिन्दी भाषा में भारतेन्दु हरिश्चन्द को खड़ी बोली के जनक के रूप में जाना जाता है l अपनी उदारवादिता के लिए वे प्रख्यात थे । उनके एक मित्र की कन्या का विवाह था l वे कुछ याचना का मनोरथ लेकर आये , पर भारतेन्दु जी की जेब उन दिनों बिलकुल खाली थी l फिर भी जरुरतमंद को खाली हाथों जाने देना उन्हें उचित नहीं लगा । उन्होंने अपनी हीरा जड़ी अँगूठी उतारकर मित्र के हाथ पर रखी l और मित्र का मुंह बंद करते हुए कहा ---- बस अब कुछ मत कहना मेरे पास अब कुछ नहीं बचा l
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