स्टालिन की कठोरता और निर्ममता भी राष्ट्र के हित में होने के कारण उपयोगी सिद्ध हुईं |
अपने कठोर अनुशासन और प्रभुत्व के पीछे स्टालिन के मन में कोई व्यक्तिगत इच्छा रही हो , ऐसा नहीं लगता ।
बीस वर्ष तक सोवियत संघ का एकछत्र शासक रहने वाला यह व्यक्ति जार के शानदार महल में रहने के बजाय सचिवालय में काम करने वाले सामान्य कर्मचारी को मिलने वाले क्वार्टर में ही रहा करता था । उन्ही जैसा खाना खाता था , उन्ही जैसे कपड़े पहनता था
जार के निरंकुश शासन से मुक्ति दिलाने के लिए अपने जीवन के स्वर्णिम बीस वर्ष समर्पित कर पग - पग पर मृत्यु की संभावना और कष्ट - कठिनाइयों से जूझने के तप , त्याग और बलिदान का मुआवजा स्टालिन ने सुख , वैभव और आरामतलबी के रूप में नहीं लिया l
आत्म प्रशंसा और आत्म विज्ञापन से वह कोसों दूर रहता था l स्टालिन ने समाज के हित पर अपने व्यक्तिगत हितों को बलिदान करके क्रांति के कामों में बाधा नहीं आने दी l
अपने कठोर अनुशासन और प्रभुत्व के पीछे स्टालिन के मन में कोई व्यक्तिगत इच्छा रही हो , ऐसा नहीं लगता ।
बीस वर्ष तक सोवियत संघ का एकछत्र शासक रहने वाला यह व्यक्ति जार के शानदार महल में रहने के बजाय सचिवालय में काम करने वाले सामान्य कर्मचारी को मिलने वाले क्वार्टर में ही रहा करता था । उन्ही जैसा खाना खाता था , उन्ही जैसे कपड़े पहनता था
जार के निरंकुश शासन से मुक्ति दिलाने के लिए अपने जीवन के स्वर्णिम बीस वर्ष समर्पित कर पग - पग पर मृत्यु की संभावना और कष्ट - कठिनाइयों से जूझने के तप , त्याग और बलिदान का मुआवजा स्टालिन ने सुख , वैभव और आरामतलबी के रूप में नहीं लिया l
आत्म प्रशंसा और आत्म विज्ञापन से वह कोसों दूर रहता था l स्टालिन ने समाज के हित पर अपने व्यक्तिगत हितों को बलिदान करके क्रांति के कामों में बाधा नहीं आने दी l
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