विजय सदा न्याय की हुई है , अन्याय सदा हारता आया है | विश्व का इतिहास उठाकर देखें तो यही स्पष्ट होगा कि अनाचार कितना ही बड़ा हो जब तक उसका प्रतिकार नहीं किया जाता तभी तक वह बढ़ता है किन्तु जब उसका प्रतिकार करने के लिए कोई उठ खड़ा होता है तो उसे हार माननी ही पड़ती है | इस प्रतिकार के लिए कमर कस कर खड़े होना किसी साहसी का ही काम होता है | ऐसे साहसियों की अमर गाथाएं युगों तक गाई जाती हैं | पुरुषार्थ के ऐसे ही धनी इतिहास के पन्नो पर स्वर्ण अक्षरों में जगमगाया करते हैं |
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