' डॉ. अम्बेडकर का व्यक्तित्व सामान्यजन के लिए प्रेरक है । एक साधारण स्थिति का बालक
पग - पग पर अपमान, तिरस्कार पाता हुआ भी व्यक्तित्व की ऊँचाइयों को छूता रहा । समाज - सुधारक और दलित बन्धु के रूप में तो उन्हें जाना ही जाता है , वे भारतीय संस्कृति व भारत देश के बहुत बड़े सपूत के रूप में भी स्मरण किये जाते रहेंगे ।
जान ग्रन्थर ने अपनी पुस्तक ' एशिया के भीतर ' में उनके विषय में लिखा है ----- " मैं उनके दादर स्थित निवास पर गया तो उनके पुस्तकालय को देखकर चकित रह गया , उसमे 35000 दुर्लभ पुस्तकें थीं । जिनके लिए उन्होंने पृथक भवन बना रखा था । उनकी बातों से पांडित्य का रस टपकता था और व्यवहार से शालीनता -------------l "
उनके मुकाबले का विधि वेत्ता भारत में न उस समय था न आज है l वे एक अच्छे लेखक भी थे । उन्होंने अर्थशास्त्र , राजनीति, कानून , अछूतोद्धार पर अति उत्तम पुस्तकें लिखीं , जिनमे उनकी विद्वता परिलक्षित होती है ।
पग - पग पर अपमान, तिरस्कार पाता हुआ भी व्यक्तित्व की ऊँचाइयों को छूता रहा । समाज - सुधारक और दलित बन्धु के रूप में तो उन्हें जाना ही जाता है , वे भारतीय संस्कृति व भारत देश के बहुत बड़े सपूत के रूप में भी स्मरण किये जाते रहेंगे ।
जान ग्रन्थर ने अपनी पुस्तक ' एशिया के भीतर ' में उनके विषय में लिखा है ----- " मैं उनके दादर स्थित निवास पर गया तो उनके पुस्तकालय को देखकर चकित रह गया , उसमे 35000 दुर्लभ पुस्तकें थीं । जिनके लिए उन्होंने पृथक भवन बना रखा था । उनकी बातों से पांडित्य का रस टपकता था और व्यवहार से शालीनता -------------l "
उनके मुकाबले का विधि वेत्ता भारत में न उस समय था न आज है l वे एक अच्छे लेखक भी थे । उन्होंने अर्थशास्त्र , राजनीति, कानून , अछूतोद्धार पर अति उत्तम पुस्तकें लिखीं , जिनमे उनकी विद्वता परिलक्षित होती है ।
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