विलायत से अध्ययन कर जब रविन्द्रनाथ टैगोर भारत लौट आये तो देश के गरीबो की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए उन्होंने कलकत्ता से पेशावर तक बैलगाड़ी में यात्रा करने का निश्चय किया | इस यात्रा का वर्णन करते हुए उनके जीवन चरित्र में कहा गया है ------ " मार्ग उनको अनगिनत गाँव और दीन कृषकों की झोपड़ियाँ देखने का अवसर प्राप्त हुआ | गरीबों की दुर्दशा देख उनका चित दुःखी हो गया , वे सोचने लगे कि महलों में रहने वालों को क्या पता कि गरीबी कैसी होती है | इन द्रश्यों को देखकर जो विचार - मंथन हुआ उससे इन लोगों की दशा सुधारने के कितने ही उपाय उन्हें सूझे । साथ ही अपनी रचनाओं में उन्होंने इसका यथार्थ चित्रण किया जिससे शिक्षित देशवासियों की आँखें खुली , सरकार का भी ध्यान इस ओर गया फलस्वरूप किसानो के लिए नहरों व कुओं द्वारा सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि की गई । "
इस भ्रमण से उन्हें जो अनुभव प्राप्त हुआ वह अमूल्य था और नेताओं के लिए प्रेरणा ।
इस भ्रमण से उन्हें जो अनुभव प्राप्त हुआ वह अमूल्य था और नेताओं के लिए प्रेरणा ।
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