किसी भी प्रतिष्ठित पद पर पहुँचने के बाद सामान्य व्यक्ति प्राय: अपने सुख - साधनों की वृद्धि में ही लग जाते हैं परन्तु डॉ . साहब इस आदत से सर्वथा परे थे | उन्होंने कभी कुछ लिया नहीं और न ही सम्पति संचय की ओर ध्यान दिया ।
राजनीति, साहित्य और धर्म दर्शन के क्षेत्र में अपनी योग्यता , निष्ठां और श्रम के बल पर उन्होंने आश्चर्यजनक प्रगति की , उन्हें समाज ने पर्याप्त सम्मान और प्रतिष्ठा भी प्रदान की परन्तु इन सब उपलब्धियों के बीच भी वे जल में कमल के समान निर्लिप्त ही रहे । उन्होंने अपने पद और सम्मान का उपयोग कभी भी व्यक्तिगत सुखों के लिए नहीं किया ।
भारतीय जीवन के समग्र साधक होने के नाते ही वे स्वतंत्रता सैनिक, मुख्यमंत्री , राज्यपाल , अध्यापक , वेद शास्त्र मर्मज्ञ , योगाभ्यासी , समाज सुधारक , साहित्यकार , हिन्दी के प्रबल विचारक आदि अनेक रूपों में सामने आये ।
राजनीति, साहित्य और धर्म दर्शन के क्षेत्र में अपनी योग्यता , निष्ठां और श्रम के बल पर उन्होंने आश्चर्यजनक प्रगति की , उन्हें समाज ने पर्याप्त सम्मान और प्रतिष्ठा भी प्रदान की परन्तु इन सब उपलब्धियों के बीच भी वे जल में कमल के समान निर्लिप्त ही रहे । उन्होंने अपने पद और सम्मान का उपयोग कभी भी व्यक्तिगत सुखों के लिए नहीं किया ।
भारतीय जीवन के समग्र साधक होने के नाते ही वे स्वतंत्रता सैनिक, मुख्यमंत्री , राज्यपाल , अध्यापक , वेद शास्त्र मर्मज्ञ , योगाभ्यासी , समाज सुधारक , साहित्यकार , हिन्दी के प्रबल विचारक आदि अनेक रूपों में सामने आये ।
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