' आत्म - हीनता का उदय पाप और बुराइयों को छुपाने से होता है । यदि लोग अपने दोषों का चिंतन किया करें , उन्हें स्वीकार कर लिया करें और उनका दंड भी उसी साहस के साथ भुगत लिया करें तो व्यक्ति की आत्मा में इतना बल है कि कोई साधन - सम्पन्नता न होने पर भी वह संतुष्ट जीवन जी सकता है ।
No comments:
Post a Comment