' निर्धनता को कतिपय लोग जीवन प्रगति की बाधक जंजीर कहा करते हैं किन्तु यही पुरुषार्थी और लगनशील व्यक्ति के लिए सफलता का स्वर्ण पथ बन जाती है । अमीरी स्वभावतः मनुष्य को आलसी, अकर्मण्य तथा दम्भी बना देती है किन्तु गरीबी मनुष्य के लिए एक चुनौती बनकर उसके कर्म कोषों को खोल देती है । मनुष्य गरीबी दूर करने के लिए काम करता हुआ ऊँचे से ऊँचे स्थान पर जा पहुँचता है ।
लिंकन का जन्म एक बहुत गरीब घर में हुआ था । गरीबी के कारण उन्हें पानी भरने , सफाई करने , चक्की पर आटा पिसाने आदि का काम करना पड़ता था । जिस चक्की पर आटा पिसाने जाते उसकी मालकिन से ही जब तक आटा पिस्ता कुछ लिखना और गिनना सीखते रहते थे ।
वकालत के धन्धे में लिंकन हमेशा सच्चाई से काम लेते थे ॥ उनके जीवन चरित्र लेखक लार्ड चार्नवुड ने लिखा है ---- " लिंकन का तरीका सदा यही रहता था कि जिस मामले में उनकी आत्मा स्वीकार नहीं कर लेती उसकी पैरवी करने से वे इन्कार कर दिया करते थे । अदालत में खड़े होने पर जब उन्हें यह मालूम होता था कि इस मुकदमे में कुछ ऐसी बातें हैं जो उनसे छुपा ली गईं हैं और जिन्हें उनकी आत्मा स्वीकार नहीं करती है तो वे उसके कागजात को उसी समय फेंक देते थे । " बहस में पूरी ईमानदारी और सच्चाई रखने के कारण वे कई न्यायधीशों की निगाह में पूर्ण विश्वासपात्र बन गए थे ।
लिंकन का जन्म एक बहुत गरीब घर में हुआ था । गरीबी के कारण उन्हें पानी भरने , सफाई करने , चक्की पर आटा पिसाने आदि का काम करना पड़ता था । जिस चक्की पर आटा पिसाने जाते उसकी मालकिन से ही जब तक आटा पिस्ता कुछ लिखना और गिनना सीखते रहते थे ।
वकालत के धन्धे में लिंकन हमेशा सच्चाई से काम लेते थे ॥ उनके जीवन चरित्र लेखक लार्ड चार्नवुड ने लिखा है ---- " लिंकन का तरीका सदा यही रहता था कि जिस मामले में उनकी आत्मा स्वीकार नहीं कर लेती उसकी पैरवी करने से वे इन्कार कर दिया करते थे । अदालत में खड़े होने पर जब उन्हें यह मालूम होता था कि इस मुकदमे में कुछ ऐसी बातें हैं जो उनसे छुपा ली गईं हैं और जिन्हें उनकी आत्मा स्वीकार नहीं करती है तो वे उसके कागजात को उसी समय फेंक देते थे । " बहस में पूरी ईमानदारी और सच्चाई रखने के कारण वे कई न्यायधीशों की निगाह में पूर्ण विश्वासपात्र बन गए थे ।
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