' अपने लाभ के लिए तो सभी प्रयत्न करते हैं और संकट उठाते हैं , पर जो न्याय की खातिर अपनी प्रत्यक्ष हानि देखकर भी संघर्ष करते हैं उनकी गिनती महान आत्माओं में होती है । '
गढ़ मंडला की रानी दुर्गावती यदि चाहती तो अकबर की आधीनता स्वीकार करके आजीवन सुख पूर्वक रह सकती थीं , पर ऐसा करने में उन्हें अपना व अपने देश का अपमान जान पड़ा ।
उन्होंने अपनी सेना को सुद्रढ़ बनाया और अकबर जैसे प्रसिद्ध सम्राट की शक्तिशाली फौज को दो बार पराजित किया ।
गढ़ मंडला की सेना की सबसे बड़ी कमजोरी तोपखाने का अभाव था , उसने अपने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा था ---- " यद्दपि हमारे पास तोपें नहीं हैं , पर उससे भी शक्तिशाली आत्म बल हमारे पास है हम स्वदेश की रक्षा के लिए सत्य और धर्म के अनुकूल युद्ध कर रहे हैं l याद रखो , सत्य की सदा विजय होती है असत्य की नहीं l "
रानी दुर्गावती ने अपने थोड़े से साथियों को लेकर ही शत्रु दल में ऐसी मारकाट मचा दी कि बड़े - बड़े वीरों के होश उड़ गए । ।
रानी दुर्गावती भारतीयता की रक्षक और स्वाधीनता के लिए अपना बलिदान करने वाली वीरांगना थीं ।
गढ़ मंडला की रानी दुर्गावती यदि चाहती तो अकबर की आधीनता स्वीकार करके आजीवन सुख पूर्वक रह सकती थीं , पर ऐसा करने में उन्हें अपना व अपने देश का अपमान जान पड़ा ।
उन्होंने अपनी सेना को सुद्रढ़ बनाया और अकबर जैसे प्रसिद्ध सम्राट की शक्तिशाली फौज को दो बार पराजित किया ।
गढ़ मंडला की सेना की सबसे बड़ी कमजोरी तोपखाने का अभाव था , उसने अपने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा था ---- " यद्दपि हमारे पास तोपें नहीं हैं , पर उससे भी शक्तिशाली आत्म बल हमारे पास है हम स्वदेश की रक्षा के लिए सत्य और धर्म के अनुकूल युद्ध कर रहे हैं l याद रखो , सत्य की सदा विजय होती है असत्य की नहीं l "
रानी दुर्गावती ने अपने थोड़े से साथियों को लेकर ही शत्रु दल में ऐसी मारकाट मचा दी कि बड़े - बड़े वीरों के होश उड़ गए । ।
रानी दुर्गावती भारतीयता की रक्षक और स्वाधीनता के लिए अपना बलिदान करने वाली वीरांगना थीं ।
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