' लोग साधन और सुविधाएँ होते हुए भी कोई उल्लेखनीय उन्नति इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें काम की कम नामवरी की चिंता पहले होने लगती है , बस ! बौद्धिक विकास की साधना वहीँ ठप्प पड़ जाती है । व्यर्थ के तानों - बानों में जीवन बीतकर नष्ट हो जाता है । '
लोकेषणा से बचकर ही बर्नार्ड शा अपने जीवन के एक - एक क्षण का सदुपयोग कर सके ।
जहाँ छोटे - छोटे लोग भी अपनी प्रशंसा सुनना चाहते हैं , अपना नाम और जीवन चरित छपा हुआ देखकर प्रसन्न होते हैं । उन्होंने अपने एक निबंध में इस बात को यों साफ किया है ----- आत्म कथा प्रेरक और कलात्मक होनी चाहिए पर मेरे जीवन में वैसा कुछ नहीं है । मैंने किसी की हत्या की नहीं , किसी से बैर बढाया नहीं , नारी के पीछे पड़ा नहीं , न कोई ऐसी घटना मेरे जीवन में घटी जिसे पढ़कर लोगों को रोमांच हो । जो कुछ देने की वस्तु थी ----- विचार --वह मैंने पुस्तकों में लिख दिया । मैंने नाटकों में जीवन के अनुकरणीय पहलुओं को उतार कर रख दिया । जो सुनाने योग्य था सुना दिया गया , फिर आत्म कथा लिखकर लोगों को क्या पढ़ाऊँ ।
बर्नार्ड शा स्वयं अपनी भी आलोचना करने में पीछे नहीं हटते थे l उन्होंने आरंभिक अवस्था में तीन उपन्यास लिखे । । आगे व्हालकर स्वयं ही उनकी बड़ी खिल्ली उड़ाई । उन्होंने लिखा कि मेरी पहली कहानी तो इतनी घटिया थी कि उसे चूहे ने भी कुतरने से इंकार कर दिया ।
लोकेषणा से बचकर ही बर्नार्ड शा अपने जीवन के एक - एक क्षण का सदुपयोग कर सके ।
जहाँ छोटे - छोटे लोग भी अपनी प्रशंसा सुनना चाहते हैं , अपना नाम और जीवन चरित छपा हुआ देखकर प्रसन्न होते हैं । उन्होंने अपने एक निबंध में इस बात को यों साफ किया है ----- आत्म कथा प्रेरक और कलात्मक होनी चाहिए पर मेरे जीवन में वैसा कुछ नहीं है । मैंने किसी की हत्या की नहीं , किसी से बैर बढाया नहीं , नारी के पीछे पड़ा नहीं , न कोई ऐसी घटना मेरे जीवन में घटी जिसे पढ़कर लोगों को रोमांच हो । जो कुछ देने की वस्तु थी ----- विचार --वह मैंने पुस्तकों में लिख दिया । मैंने नाटकों में जीवन के अनुकरणीय पहलुओं को उतार कर रख दिया । जो सुनाने योग्य था सुना दिया गया , फिर आत्म कथा लिखकर लोगों को क्या पढ़ाऊँ ।
बर्नार्ड शा स्वयं अपनी भी आलोचना करने में पीछे नहीं हटते थे l उन्होंने आरंभिक अवस्था में तीन उपन्यास लिखे । । आगे व्हालकर स्वयं ही उनकी बड़ी खिल्ली उड़ाई । उन्होंने लिखा कि मेरी पहली कहानी तो इतनी घटिया थी कि उसे चूहे ने भी कुतरने से इंकार कर दिया ।
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