' बम्बई हाई कोर्ट के जज श्री महादेव गोविन्द रानाडे अंग्रेजी युग के सम्मानीय जज थे , उन्होंने कर्तव्य परायणता से अपने पद को सम्मानित किया । '
एक बार श्री रानाडे सरकारी काम पर पैदल ही सतारा जिले का दौरा कर रहे थे । उन्होंने अपनी पत्नी को सन्देश दिया था कि पीछे घोड़ागाड़ी से आ जाना ।
मार्ग में एक अमराई में बढ़िया आम दिखाई दिए । न्यायधीश की पत्नी की इच्छा अनुसार गाड़ीवान ने कुछ आम पेड़ से तोड़े । संयोग वश एक बड़ा आम उनके हाथ पर आ गिरा और उनके सोने का कंगन टूट गया । टूटे हुए कंगन का टुकड़ा भी नहीं मिल पाया ।
पड़ाव पर आकर उनकी पत्नी ने सारी कहानी श्री रानाडे को सुनायी ।
तब वे कहने लगे ----- ' ठीक ही हुआ । बिना अधिकार के पराया माल प्राप्त करने का यही परिणाम होना चाहिए । भविष्य में इस प्रकार की मनोवृति से दूर रखने के लिए प्रभु ने यह दंड दिया । तुम्हारे अपराध की थोड़ी - सी सजा मुझे भी मिल गई । मेरा भी चाकू कहीं खो गया ।
पाप की कौड़ी पुण्य का सोना भी खींच लेती है ।
श्री महादेव गोविन्द रानाडे केवल दूसरों के मुकदमों का फैसला ही नहीं करते थे वरन अपने और अपने स्वजनों के क्रिया - कलापों का भी विवेकपूर्ण तरीके से निरीक्षण करते हुए उस न्यायधीश को नहीं बिसारते थे जो संसार का स्वामी है । वह सब पर दया भी करता है और उन्हें उनके कर्मों के अनुसार दंड भी देता है ।
एक बार श्री रानाडे सरकारी काम पर पैदल ही सतारा जिले का दौरा कर रहे थे । उन्होंने अपनी पत्नी को सन्देश दिया था कि पीछे घोड़ागाड़ी से आ जाना ।
मार्ग में एक अमराई में बढ़िया आम दिखाई दिए । न्यायधीश की पत्नी की इच्छा अनुसार गाड़ीवान ने कुछ आम पेड़ से तोड़े । संयोग वश एक बड़ा आम उनके हाथ पर आ गिरा और उनके सोने का कंगन टूट गया । टूटे हुए कंगन का टुकड़ा भी नहीं मिल पाया ।
पड़ाव पर आकर उनकी पत्नी ने सारी कहानी श्री रानाडे को सुनायी ।
तब वे कहने लगे ----- ' ठीक ही हुआ । बिना अधिकार के पराया माल प्राप्त करने का यही परिणाम होना चाहिए । भविष्य में इस प्रकार की मनोवृति से दूर रखने के लिए प्रभु ने यह दंड दिया । तुम्हारे अपराध की थोड़ी - सी सजा मुझे भी मिल गई । मेरा भी चाकू कहीं खो गया ।
पाप की कौड़ी पुण्य का सोना भी खींच लेती है ।
श्री महादेव गोविन्द रानाडे केवल दूसरों के मुकदमों का फैसला ही नहीं करते थे वरन अपने और अपने स्वजनों के क्रिया - कलापों का भी विवेकपूर्ण तरीके से निरीक्षण करते हुए उस न्यायधीश को नहीं बिसारते थे जो संसार का स्वामी है । वह सब पर दया भी करता है और उन्हें उनके कर्मों के अनुसार दंड भी देता है ।
No comments:
Post a Comment