वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती का स्थान सर्वोच्च है । कार्लटन नामक विद्वान ने लिखा है ----- " कौनसी ऐसी ऊंचाई है जहाँ स्त्री चढ़ नहीं सकती ? कौन सा ऐसा स्थान है जहाँ वह पहुँच नहीं सकती ? हजारों अपराध करो वह क्षमा कर देती है l जब किसी कार्य में जुट जाये तो संसार की कोई भी शक्ति उसे रोक नहीं सकती । । "
यदि रानी दुर्गावती के चरित्र पर ध्यान दें तो उक्त विद्वान का कथन सत्य प्रतीत होता है । उसने एक सामान्य स्त्री की स्थिति से स्वयं को इतना ऊँचा उठाया कि मुग़ल साम्राज्य का गुणगान करने वाले इतिहास लेखकों ने भी उसके महत्व को स्वीकार किया । अकबर के युग के सर्वोच्च विद्वान और ' आईने अकबरी ' के लेखक अबुल फजल ने लिखा है ----- " दुर्गावती में अदम्य उत्साह था , उसकी कार्यक्षमता की बराबरी आसानी से नहीं हो सकती । वह अपने राज्य और प्रजा की रक्षा में सदैव तत्पर रहा करती थी । उसका निशाना कभी नहीं चूकता था , उसकी आदत थी कि जब कहीं कोई शेर दिखाई पड़े तो उसे मारे बिना वह जल तक ग्रहण नहीं करती थीं । वह दूरदर्शिता तथा सूझ - बूझ में अच्छे - अच्छे राजनीतिज्ञों को भी मात करती थीं । "
एक भारतीय नारी के लिए , अकबर के सच्चे सहयोगी और हितचिन्तक अबुल फजल की यह स्वीकारोक्ति साधारण नहीं है । रानी दुर्गावती ने यह सिद्ध कर दिया कि पुरुषों की तुलना नारी पर हीनता का जो आक्षेप किया जाता है वह निराधार ही है । यदि उचित अवसर और धन प्राप्त हो , तो नारी प्रत्येक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर सकती है ।
यदि रानी दुर्गावती के चरित्र पर ध्यान दें तो उक्त विद्वान का कथन सत्य प्रतीत होता है । उसने एक सामान्य स्त्री की स्थिति से स्वयं को इतना ऊँचा उठाया कि मुग़ल साम्राज्य का गुणगान करने वाले इतिहास लेखकों ने भी उसके महत्व को स्वीकार किया । अकबर के युग के सर्वोच्च विद्वान और ' आईने अकबरी ' के लेखक अबुल फजल ने लिखा है ----- " दुर्गावती में अदम्य उत्साह था , उसकी कार्यक्षमता की बराबरी आसानी से नहीं हो सकती । वह अपने राज्य और प्रजा की रक्षा में सदैव तत्पर रहा करती थी । उसका निशाना कभी नहीं चूकता था , उसकी आदत थी कि जब कहीं कोई शेर दिखाई पड़े तो उसे मारे बिना वह जल तक ग्रहण नहीं करती थीं । वह दूरदर्शिता तथा सूझ - बूझ में अच्छे - अच्छे राजनीतिज्ञों को भी मात करती थीं । "
एक भारतीय नारी के लिए , अकबर के सच्चे सहयोगी और हितचिन्तक अबुल फजल की यह स्वीकारोक्ति साधारण नहीं है । रानी दुर्गावती ने यह सिद्ध कर दिया कि पुरुषों की तुलना नारी पर हीनता का जो आक्षेप किया जाता है वह निराधार ही है । यदि उचित अवसर और धन प्राप्त हो , तो नारी प्रत्येक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर सकती है ।
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