वास्तव में संसार में गुणों की ही पूजा होती है | सच्चा और स्थायी बड़प्पन उन्ही महापुरुषों को प्राप्त होता है जो दूसरों के लिए निष्काम भाव से परिश्रम और कष्ट सहन कर लेते हैं l उनकी न्याय प्रियता और देशभक्ति अदिव्तीय थी l श्री ह्यूम का कथन था ----- " भारतवर्ष में अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो रात - दिन ---- चौबीस घंटे अपनी मातृभूमि की चिन्ता करता है तो वह महादेव गोविन्द रानाडे हैं l " उस समय वे हाईकोर्ट के जज थे | राजनीतिक कार्यों में भाग लेने के कारन तत्कालीन अंग्रेज सरकार उनसे अप्रसन्न थी , इस कारण उनकी पदोन्नति सदैव देर से होती रही | जब नियमानुसार उनको हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने का समय आ गया तब सरकार ने उनको वह पद नहीं दिया और उनके बजाय एक अन्य भारतीय श्री काशीनाथ त्र्य्बक तैलंग को वह पद दे दिया | कुछ वर्ष बाद फिर जज का स्थान खाली होने पर सरकार ने उनको पद देने के बजे अन्य दो व्यक्तियों को यह पद देना चाहा लेकिन उन दोनों ने ही इसे अनुचित और अन्यायपूर्ण समझकर स्वीकार करने से इनकार कर दिया , तब विवश होकर सरकार को उन्हें जज के पद पर नियुक्त करना पड़ा |
जो व्यक्ति लौकिक सफलता के लिए भले - बुरे सब तरह के कार्य करने को उद्दत हो जाते हैं आर्थिक लाभ के लिए सिद्धांतों को उठाकर ताक पर रख देते हैं उनके लिए रानाडे का चरित्र अनुकरणीय है |
जो व्यक्ति लौकिक सफलता के लिए भले - बुरे सब तरह के कार्य करने को उद्दत हो जाते हैं आर्थिक लाभ के लिए सिद्धांतों को उठाकर ताक पर रख देते हैं उनके लिए रानाडे का चरित्र अनुकरणीय है |
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