' परिस्थितियां कितनी भी विपन्न और विषम क्यों न बनी रहीं हों , पर धुन के धनी लोगों ने जीवन की महत्वपूर्ण सफलताएँ अर्जित कर दिखाई हैं l ' जिन व्यक्तियों ने अपनी प्रसुप्त प्रतिभा को उपयोगी दिशा में लगाया है , उसके सत्परिणाम भी उन्हें मिले हैं l '
अमेरिका के प्रख्यात मनोविज्ञानवेत्ता पादरी नार्मन विन्सेंट पील ने बर्तन बेचने से अपना कार्य आरंभ किया l प्रारंभ में उन्हें लोगों की उपेक्षा - उपहास का शिकार बनना पड़ा किन्तु अपनी लगन और निष्ठा बल पर आगे बढ़ते गए और अंतत: पादरी बने l
उन्होंने कई ऐसी पुस्तकें लिखीं जिनको पढ़कर जीवन विरोधी परिस्थितियों से जूझने और सफलता अर्जित कर सकने की प्रेरणा मिलती है l " ऐन्थूजियाज्म मेक्स द डिफरेंस " नामक पुस्तक में उन्होंने ग्यारह शब्दों का एक फार्मूला सुझाया है ---- ' एव्री प्रॉब्लम कन्टेन्स विदिन इटसेल्फ द सीड्स ऑफ इट्स ओन सौलुशन ' l ------ अर्थात प्रत्येक समस्या स्वयं में समाधान के बीज रखती है l उन्हें अंकुरित और विकसित करने की जिम्मेदारी मनुष्य की होती है कि अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु वह संकल्प बद्ध प्रयास करे l
अमेरिका के प्रख्यात मनोविज्ञानवेत्ता पादरी नार्मन विन्सेंट पील ने बर्तन बेचने से अपना कार्य आरंभ किया l प्रारंभ में उन्हें लोगों की उपेक्षा - उपहास का शिकार बनना पड़ा किन्तु अपनी लगन और निष्ठा बल पर आगे बढ़ते गए और अंतत: पादरी बने l
उन्होंने कई ऐसी पुस्तकें लिखीं जिनको पढ़कर जीवन विरोधी परिस्थितियों से जूझने और सफलता अर्जित कर सकने की प्रेरणा मिलती है l " ऐन्थूजियाज्म मेक्स द डिफरेंस " नामक पुस्तक में उन्होंने ग्यारह शब्दों का एक फार्मूला सुझाया है ---- ' एव्री प्रॉब्लम कन्टेन्स विदिन इटसेल्फ द सीड्स ऑफ इट्स ओन सौलुशन ' l ------ अर्थात प्रत्येक समस्या स्वयं में समाधान के बीज रखती है l उन्हें अंकुरित और विकसित करने की जिम्मेदारी मनुष्य की होती है कि अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु वह संकल्प बद्ध प्रयास करे l
No comments:
Post a Comment