' अन्याय और अनौचित्य के आगे कभी सिर न झुकाने वाले अपने सिद्धान्तों के प्रति दृढ़-निष्ठ और सहजता की प्रतिमा डॉ. वसु भारत के उन गिने-चुने वैज्ञानिकों में माने जाते हैं जिन्होंने अपना जीवन विज्ञान के माध्यम से मनुष्यता की सेवा करने और वैज्ञानिक जगत में अपने देश का सिर ऊँचा उठाने के लिए अनथक प्रयास किये l साथ ही साथ समाज सेवा और पीड़ित मानवता के उत्कर्ष में लगे रहे l '
1942 में एक छात्र -दल को सहयोग देकर ढाका हाल पर तिरंगा फहराया था l जब नेताजी सुभाष ने बर्लिन से भारत की जनता के नाम अपना प्रथम रेडियो भाषण दिया तो उसे गुप्त रूप से भारत में प्रसारित करने की व्यवस्था डॉ. वसु ने की थी l उस समय डॉ. वसु ने ढाका विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में उच्च शक्ति संपन्न रिसीवर पर वह भाषण सुना और टेप किया तथा इसके बाद ही वह भाषण सारे भारत में प्रचारित किया गया l
1942 में एक छात्र -दल को सहयोग देकर ढाका हाल पर तिरंगा फहराया था l जब नेताजी सुभाष ने बर्लिन से भारत की जनता के नाम अपना प्रथम रेडियो भाषण दिया तो उसे गुप्त रूप से भारत में प्रसारित करने की व्यवस्था डॉ. वसु ने की थी l उस समय डॉ. वसु ने ढाका विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में उच्च शक्ति संपन्न रिसीवर पर वह भाषण सुना और टेप किया तथा इसके बाद ही वह भाषण सारे भारत में प्रचारित किया गया l
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