बीस वर्ष के दक्षिण अफ्रीकी प्रवास के बाद वे हिन्दुस्तान लौटे l अपने गुरु गोपालकृष्ण गोखले की सलाह पर वे वर्ष भर राजनीतिक रूप से मौन रहे और उन्होंने सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया l इस यात्रा के जरिए वे समाज के अंतिम जन तक पहुंचना चाहते थे और पहुंचे भी l
उनका पहला राजनीतिक भाषण उस समय हुआ जब 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के शिलान्यास कार्यक्रम में देश भर से बड़े - बड़े लोगों को बुलाया गया था , जिनमे बड़े - बड़े राज्यों के महाराज , अन्य रियासतों के राजा , बड़े व्यापारी व राजनीतिज्ञ शामिल थे l इस कार्यक्रम में वायसराय को भी बुलाया गया था l गांधीजी को भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने का न्योता मिला था l
जब गांधीजी के सामने उपस्थित व्यक्तियों को संबोधित करने की बारी आई तो उन्होंने कहा ---- " मुझे यहाँ आने में देर लगी , समय पर नहीं पहुँच पाया क्योंकि शहर की इतनी किलेबंदी की गई थी कि सुरक्षा की वजह से यहाँ पहुँचने में देर लगी l " उन्होंने सवाल उठाया कि यदि देश का वायसराय जो संप्रभु है , उसको अपनी प्रजा से इतना डर लगता है तो इससे अच्छा है कि वह न रहे l फिर उन्होंने सभा में भव्यता के साथ पहुंचे राजा - महाराजाओं को आड़े हाथों लिया और कहा कि , ' आप तो जनता की तिजोरी में जितना सोना - चांदी और आभूषण है , उसे अपने शरीर पर लाद कर चले आये हैं l आखिर यह किसकी कमाई है ?
उनके प्रश्न जन सामान्य के प्रश्न थे l
उनका पहला राजनीतिक भाषण उस समय हुआ जब 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के शिलान्यास कार्यक्रम में देश भर से बड़े - बड़े लोगों को बुलाया गया था , जिनमे बड़े - बड़े राज्यों के महाराज , अन्य रियासतों के राजा , बड़े व्यापारी व राजनीतिज्ञ शामिल थे l इस कार्यक्रम में वायसराय को भी बुलाया गया था l गांधीजी को भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने का न्योता मिला था l
जब गांधीजी के सामने उपस्थित व्यक्तियों को संबोधित करने की बारी आई तो उन्होंने कहा ---- " मुझे यहाँ आने में देर लगी , समय पर नहीं पहुँच पाया क्योंकि शहर की इतनी किलेबंदी की गई थी कि सुरक्षा की वजह से यहाँ पहुँचने में देर लगी l " उन्होंने सवाल उठाया कि यदि देश का वायसराय जो संप्रभु है , उसको अपनी प्रजा से इतना डर लगता है तो इससे अच्छा है कि वह न रहे l फिर उन्होंने सभा में भव्यता के साथ पहुंचे राजा - महाराजाओं को आड़े हाथों लिया और कहा कि , ' आप तो जनता की तिजोरी में जितना सोना - चांदी और आभूषण है , उसे अपने शरीर पर लाद कर चले आये हैं l आखिर यह किसकी कमाई है ?
उनके प्रश्न जन सामान्य के प्रश्न थे l
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