' इस संसार में कोई अजेय नहीं है l काल किसी को क्षमा नहीं करता l दुराचारी चाहे कितना बलवान , शक्तिवान क्यों न हो , एक दिन उसका दर्दनाक अंत होना सुनिश्चित है l शक्ति का दंभ भी तब तक है , जब तक पुण्य शेष हैं l पुण्य के क्षीण हो जाने पर सारा दंभ गुब्बारे की हवा की तरह निकल जाता है और बच जाता शक्ति के बल पर किया गया घोर पाप l मनुष्य अपने ही नीच कर्मों द्वारा अपने ही पुण्य भंडार का क्षरण कर लेता है l '
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