निष्ठावान - राष्ट्रवादी जयप्रकाश नारायण अपने छात्र जीवन से एक जुझारू स्वाधीनता सेनानी थे l मौलाना अबुल कलाम आजाद की इन पंक्तियों ने उनके अंतर्मन में क्रांति की ज्वाला भड़का दी ---- " नौजवानों ! अंग्रेजी शिक्षा का त्याग करो और मैदान में आकर ब्रिटिश हुकूमत की ढहती दीवारों को धराशायी करो और ऐसे हिंदुस्तान का निर्माण करो , जो सारे आलम में खुशबू पैदा करे l "
राष्ट्रीय स्वाधीनता के लिए उन्होंने हर कष्ट सहे , अनेकों बार जेल गए l इस कार्य में बराबर की भागीदारी निभाई उनकी पत्नी प्रभावती देवी ने l गांधीजी के लिए प्रभावती अपनी लाड़ली बेटी की तरह थीं l उनके विवाह में गांधीजी ने अभिभावक की भूमिका निभाई थी l 1947 में देश की आजादी के बाद उन्हें सरकार में गृह राज्य मंत्री बनाये जाने का प्रस्ताव था , परन्तु उन्होंने स्पष्ट रूप से मना कर दिया l
परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने कहा था ---- " इस महान लोकनायक का साथ देने के लिए आध्यात्मिक शक्तियां भी कटिबद्ध एवं संकल्पित हैं l " जब 8 अक्टूबर 1979 को उनका देहावसान हुआ तब गुरुदेव ने कहा ----- " मैं यह स्पष्ट कहता हूँ , भारत देश जयप्रकाश जी को त्याग - तपस्या के प्रतीक और जनहित के लिए सर्वस्व निछावर करने वाले महान योद्धा तथा जन भावना को स्वर देने वाले विचार क्रांति के महावीर की तरह हमेशा याद रखेगा l " उनका सम्पूर्ण जीवन जैसे पुरातन शास्त्रों की पवित्रता की सर्वाधिक सटीक और सामयिक व्याख्या थी l
राष्ट्रीय स्वाधीनता के लिए उन्होंने हर कष्ट सहे , अनेकों बार जेल गए l इस कार्य में बराबर की भागीदारी निभाई उनकी पत्नी प्रभावती देवी ने l गांधीजी के लिए प्रभावती अपनी लाड़ली बेटी की तरह थीं l उनके विवाह में गांधीजी ने अभिभावक की भूमिका निभाई थी l 1947 में देश की आजादी के बाद उन्हें सरकार में गृह राज्य मंत्री बनाये जाने का प्रस्ताव था , परन्तु उन्होंने स्पष्ट रूप से मना कर दिया l
परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने कहा था ---- " इस महान लोकनायक का साथ देने के लिए आध्यात्मिक शक्तियां भी कटिबद्ध एवं संकल्पित हैं l " जब 8 अक्टूबर 1979 को उनका देहावसान हुआ तब गुरुदेव ने कहा ----- " मैं यह स्पष्ट कहता हूँ , भारत देश जयप्रकाश जी को त्याग - तपस्या के प्रतीक और जनहित के लिए सर्वस्व निछावर करने वाले महान योद्धा तथा जन भावना को स्वर देने वाले विचार क्रांति के महावीर की तरह हमेशा याद रखेगा l " उनका सम्पूर्ण जीवन जैसे पुरातन शास्त्रों की पवित्रता की सर्वाधिक सटीक और सामयिक व्याख्या थी l
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