' व्यक्ति गुणों के साथ दोषमय भी हो सकता है इसलिए उसकी पूजा करना न उचित है न अच्छा l यदि कुछ पूजा या सम्मान का अधिकार है तो उसके सद्विचार और सत्कर्मों को है जिनके द्वारा सारी स्रष्टि का कल्याण होता है l अच्छे विचार कभी नष्ट नहीं होते , वे लोगों को अद्रश्य रूप से प्रेरणाएं देते रहते हैं और लोगों का हित किया करते हैं l
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