मनुष्य की अधिकांश समस्याओं का कारण दुर्बुद्धि है --- रावण और कंस के समय अनेक साधन - संपन्न राजा व योद्धा थे , वे चाहते तो असुरों के विरुद्ध संघर्ष छेड़ सकते थे , पर ऐसा न हो सका l धनवान , बुद्धिमान , बलवान सभी बैठे रहे l
गजनी और गौरी के आक्रमण के समय अनेकों शस्त्र सज्जित सामंत थे , वे चाहते तो मिलजुलकर आक्रमणकारियों को खदेड़ सकते थे , पर यह भी न हो सका l
महात्मा गाँधी के युग में 600 से भी ज्यादा राजे - महाराजे थे , उनके पास सेना भी थी और शस्त्र भी , परन्तु वे अपना साहस खो चुके थे l उन सभी में देश , धर्म और संस्कृति के लिए त्याग - बलिदान की मांग पूरी करने की तेजिस्वता नहीं रह गई थी l इसलिए सभी समर्थों के रहते हुए स्वाधीनता के युग में निहत्थे सत्याग्रही ही आगे बढ़े l
आज भी सुयोग्य और समर्थ जनों की कोई कमी नहीं है लेकिन अशिक्षा , बेकारी , पिछड़ापन , आतंक , अपराध आदि अनेक समस्याओं ने समाज को जकड़ रखा है l इन सबका एक ही कारण है ---- दुर्बुद्धि l मनुष्य की इच्छा , बुद्धि व क्रिया सभी को दुर्बुद्धि ने , अज्ञानता के अंधकार ने जकड़ रखा है l अपने स्वार्थ , लालच और संग्रह से आगे व्यक्ति कुछ सोच ही नहीं पा रहा है l
आइन्स्टीन से किसी ने पूछा ---- " संसार में इतना दुःख और कलह क्यों है ? जबकि विज्ञानं ने इतने सुख - साधन उत्पन्न किये हैं l "
उन्होंने उत्तर देते हुए कहा ---- " बस , एक ही कमी रह गई कि अच्छे मनुष्य बनाने की कोई योजना नहीं बनी l देश , सम्प्रदाय के पक्षधर सभी दीखते हैं , पर ऐसे लोग नहीं दिखाई पड़ते , जो अच्छे इनसान बनाने की योजनाएं बनाएं l
गजनी और गौरी के आक्रमण के समय अनेकों शस्त्र सज्जित सामंत थे , वे चाहते तो मिलजुलकर आक्रमणकारियों को खदेड़ सकते थे , पर यह भी न हो सका l
महात्मा गाँधी के युग में 600 से भी ज्यादा राजे - महाराजे थे , उनके पास सेना भी थी और शस्त्र भी , परन्तु वे अपना साहस खो चुके थे l उन सभी में देश , धर्म और संस्कृति के लिए त्याग - बलिदान की मांग पूरी करने की तेजिस्वता नहीं रह गई थी l इसलिए सभी समर्थों के रहते हुए स्वाधीनता के युग में निहत्थे सत्याग्रही ही आगे बढ़े l
आज भी सुयोग्य और समर्थ जनों की कोई कमी नहीं है लेकिन अशिक्षा , बेकारी , पिछड़ापन , आतंक , अपराध आदि अनेक समस्याओं ने समाज को जकड़ रखा है l इन सबका एक ही कारण है ---- दुर्बुद्धि l मनुष्य की इच्छा , बुद्धि व क्रिया सभी को दुर्बुद्धि ने , अज्ञानता के अंधकार ने जकड़ रखा है l अपने स्वार्थ , लालच और संग्रह से आगे व्यक्ति कुछ सोच ही नहीं पा रहा है l
आइन्स्टीन से किसी ने पूछा ---- " संसार में इतना दुःख और कलह क्यों है ? जबकि विज्ञानं ने इतने सुख - साधन उत्पन्न किये हैं l "
उन्होंने उत्तर देते हुए कहा ---- " बस , एक ही कमी रह गई कि अच्छे मनुष्य बनाने की कोई योजना नहीं बनी l देश , सम्प्रदाय के पक्षधर सभी दीखते हैं , पर ऐसे लोग नहीं दिखाई पड़ते , जो अच्छे इनसान बनाने की योजनाएं बनाएं l
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