' सत्ता होती ही ऐसी है कि व्यक्ति को यथार्थ से परे सांतवें आसमान में पहुंचा देती है , परन्तु जब वह वहां से गिरता है तो उसके अस्तित्व का भी पता नहीं चलता है l '
औरंगजेब के क्रूर अत्याचार से सर्वत्र हाहाकार मचा हुआ था l वह स्वयं खुदा बन बैठा था l जो कोई उसकी खुदाई को सलाम न करे , उसके सामने न झुके , वह उसका समूल नाश कर देता था l वह अपने बड़े भाई दाराशिकोह को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता था l उसने दाराशिकोह तथा उससे संबंधित सभी फकीरों को मृत्यु या भीषण दंड दिया था l अब इसी क्रम में वह लाल बाबा के पास आया और अपने अहंकार में चूर होकर बोला ---- " बाबा ! तुम तो अपने आप को बड़ा महान कहते हो , देखो मैंने दाराशिकोह और उसके बेटे की हत्या कर दी , उसके गुरु शरमन को भी मार गिराया l सुना है शर्मन के पास अपार शक्ति थी फिर भी वह मेरा बाल बांका भी नहीं कर सका l अब तुम्हारी बारी है l "
लाल बाबा फ़क़ीर थे और भगवान के भक्त थे l अति निडर थे , उन्होंने औरंगजेब के सिर पर एक छड़ी मारी जिससे वह कुछ क्षणों के लिए दिव्य और सतरंगी दुनिया में चला गया l उसने देखा कि दाराशिकोह एक ऊँचे सिंहासन पर बैठा है, उसके चेहरे पर दिव्य प्रकाश है l जन्नत की पवित्र आत्माएं उसकी (औरंगजेब ) की और इशारा कर कह रहीं हैं कि यह कौन सा घिनौना , बदबूदार इन्सान यहाँ आ गया , इसे यहाँ से रुखसत करो l दाराशिकोह के सामने उसे उपेक्षा , अपमान और तिरस्कार की द्रष्टि से देखा जा रहा है l " बाबा ने यह सब औरंगजेब के गरूर और दंभ को तोड़ने तथा दाराशिकोह के सत्कर्मों के प्रभाव को दिखाने के लिए किया था l यह सब देख औरंगजेब छटपटाने लगा l बाबा ने उससे कहा --- तुम षड्यंत्र रचते हो , हत्या करते हो , तुम्हे दोजख की आग में जलने से कोई नहीं रोक सकता l
औरंगजेब के क्रूर अत्याचार से सर्वत्र हाहाकार मचा हुआ था l वह स्वयं खुदा बन बैठा था l जो कोई उसकी खुदाई को सलाम न करे , उसके सामने न झुके , वह उसका समूल नाश कर देता था l वह अपने बड़े भाई दाराशिकोह को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता था l उसने दाराशिकोह तथा उससे संबंधित सभी फकीरों को मृत्यु या भीषण दंड दिया था l अब इसी क्रम में वह लाल बाबा के पास आया और अपने अहंकार में चूर होकर बोला ---- " बाबा ! तुम तो अपने आप को बड़ा महान कहते हो , देखो मैंने दाराशिकोह और उसके बेटे की हत्या कर दी , उसके गुरु शरमन को भी मार गिराया l सुना है शर्मन के पास अपार शक्ति थी फिर भी वह मेरा बाल बांका भी नहीं कर सका l अब तुम्हारी बारी है l "
लाल बाबा फ़क़ीर थे और भगवान के भक्त थे l अति निडर थे , उन्होंने औरंगजेब के सिर पर एक छड़ी मारी जिससे वह कुछ क्षणों के लिए दिव्य और सतरंगी दुनिया में चला गया l उसने देखा कि दाराशिकोह एक ऊँचे सिंहासन पर बैठा है, उसके चेहरे पर दिव्य प्रकाश है l जन्नत की पवित्र आत्माएं उसकी (औरंगजेब ) की और इशारा कर कह रहीं हैं कि यह कौन सा घिनौना , बदबूदार इन्सान यहाँ आ गया , इसे यहाँ से रुखसत करो l दाराशिकोह के सामने उसे उपेक्षा , अपमान और तिरस्कार की द्रष्टि से देखा जा रहा है l " बाबा ने यह सब औरंगजेब के गरूर और दंभ को तोड़ने तथा दाराशिकोह के सत्कर्मों के प्रभाव को दिखाने के लिए किया था l यह सब देख औरंगजेब छटपटाने लगा l बाबा ने उससे कहा --- तुम षड्यंत्र रचते हो , हत्या करते हो , तुम्हे दोजख की आग में जलने से कोई नहीं रोक सकता l
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