मनुष्य को जो सम्पदाएँ मिली हैं वह सिर्फ इसलिए मिली हैं कि अपनी आवश्यकताएं पूरी करने के बाद जो शेष बच जाता है उसका उपयोग संसार में सुख - शान्ति और समृद्धि बढ़ाने के लिए करें l
भेड़ों से हमें नसीहत लेनी चाहिए l भेड़ अपने बदन पर ऊन पैदा करती है और वह उसे लोक हित के लिए मनुष्यों को देती है l उस ऊन से कम्बल , गर्म कपडे बनते हैं , जिससे लोगों को ठण्ड से बचाव होता है l जितनी बार ऊन काटी जाती है उतनी ही बार नयी ऊन पैदा होती चली जाती है , प्रकृति उस ऊन का मुआवजा बार - बार देती है l मनुष्य को रीछ जैसा नहीं होना चाहिए l वह अपनी ऊन किसी को नहीं देता इसलिए जितनी ऊन भगवान से लेकर आया था , कुदरत ने उससे एक अंश भी अधिक उसे नहीं दी l
भेड़ों से हमें नसीहत लेनी चाहिए l भेड़ अपने बदन पर ऊन पैदा करती है और वह उसे लोक हित के लिए मनुष्यों को देती है l उस ऊन से कम्बल , गर्म कपडे बनते हैं , जिससे लोगों को ठण्ड से बचाव होता है l जितनी बार ऊन काटी जाती है उतनी ही बार नयी ऊन पैदा होती चली जाती है , प्रकृति उस ऊन का मुआवजा बार - बार देती है l मनुष्य को रीछ जैसा नहीं होना चाहिए l वह अपनी ऊन किसी को नहीं देता इसलिए जितनी ऊन भगवान से लेकर आया था , कुदरत ने उससे एक अंश भी अधिक उसे नहीं दी l
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