' काल की बड़ी महिमा है l काल की महिमा से जो अवगत होते हैं , वे उसको प्रणाम कर के उसके अनुकूल स्वयं को ढाल लेते हैं l काल बड़े - बड़ों को धराशायी कर देता है l बड़े - बड़े साम्राज्य जिनकी कहीं कोई सीमा तक नजर नहीं आती है , जिनका सूर्य कभी ढलता तक नहीं है , इतने बड़े एवं व्यापक साम्राज्य को भी काल क्षण भर में धूल - धूसरित कर देता है l
' काल उठाता है तो एक तिनका भी पहाड़ बन जाता है l एक असहाय निर्बल भी बलशाली बन जाता है l
पुराणों में एक कथा है कि ------ विष्णु भगवन ने वामन रूप धरकर राजा बलि से दान में तीन पग जमीन मांग ली और इन तीन पग में तीनो लोकों को नाप कर राजा बलि को पाताल लोक पहुंचा दिया l महाराज बलि ने कहा ------ " आज काल हमारे साथ नहीं खड़ा l ऐसे विपरीत समय में कोई ज्ञान , कोई तप , कोई साधान काम नहीं आता है l काल की इस विपरीत दशा में हमें शांत एवं स्थिर बने रहना चाहिए l प्रभु द्वारा निर्धारित स्थान पर रहकर और अपनी भक्ति के सहारे आने वाले अनुकूल समय की प्रतीक्षा के अलावा और कोई विकल्प नहीं है l इस समय कोई प्रयास - पुरुषार्थ काम नहीं आता , कोई अपना भी साथ नहीं देता l केवल ईश्वर ही सुनते हैं और साथ देते हैं l यही सत्य है l
' काल उठाता है तो एक तिनका भी पहाड़ बन जाता है l एक असहाय निर्बल भी बलशाली बन जाता है l
पुराणों में एक कथा है कि ------ विष्णु भगवन ने वामन रूप धरकर राजा बलि से दान में तीन पग जमीन मांग ली और इन तीन पग में तीनो लोकों को नाप कर राजा बलि को पाताल लोक पहुंचा दिया l महाराज बलि ने कहा ------ " आज काल हमारे साथ नहीं खड़ा l ऐसे विपरीत समय में कोई ज्ञान , कोई तप , कोई साधान काम नहीं आता है l काल की इस विपरीत दशा में हमें शांत एवं स्थिर बने रहना चाहिए l प्रभु द्वारा निर्धारित स्थान पर रहकर और अपनी भक्ति के सहारे आने वाले अनुकूल समय की प्रतीक्षा के अलावा और कोई विकल्प नहीं है l इस समय कोई प्रयास - पुरुषार्थ काम नहीं आता , कोई अपना भी साथ नहीं देता l केवल ईश्वर ही सुनते हैं और साथ देते हैं l यही सत्य है l
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