सामान्य अर्थों में चरित्रवान उन्ही को कहा जाता है जिनकी व्यक्तिगत जीवन में कर्तव्य परायणता , सत्यनिष्ठा , पारिवारिक जीवन में सद्भाव , स्नेह और सामाजिक जीवन में शिष्टता , नागरिकता आदि आदर्शों के प्रति निष्ठा है l किसी भी देश , समाज अथवा समुदाय का भाग्य ऐसे ही चरित्रवान , व्यक्तित्ववान विभूतियों पर टिका रहता है l
पेरिस में हुई राज्य क्रांति के समय की घटना है --- तब क्रान्तिकारी जेलों में ठूंसे जा चुके थे l विपक्षी सैनिकों ने कैदखाने में घुसकर इन्हें शाक- भाजी की तरह काटना शुरू कर दिया l इन सैनिकों ने एक बंदी को पहचाना , जिसका नाम था -- आंवी सिफार्ड l यह एक पादरी था l सैनिकों ने सहज श्रद्धावश उसे निकल जाने को कहा l सिफार्ड ने अनुरोध किया कि यदि तुम लोग मेरे बदले उस तरुण महिला को जाने दो , जो गर्भवती है तो मुझे मर कर भी प्रसन्नता होगी l माना कि हम लोगों ने नियम भंग किया , पर गर्भ में पल रहा मासूम तो निर्दोष है , उसे उसकी निर्दोषता का पुरस्कार मिलना चाहिए l पादरी की करुणा व दयाद्र्ता ने -- आंवी सिफार्ड नाम को इतिहास में अमर कर दिया l
चारित्रिक गुणों से व्यक्ति प्रमाणिक हो जाता है , चरित्रवान व्यक्ति की प्रमाणिकता हर किसी के लिए विश्वसनीय होती है l ------ अमेरिका ने वाशिंगटन के नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त की थी l कुछ समय तक शासन सम्हालने के बाद वह राजनीति से विरत होकर सामान्य जीवन व्यतीत करने लगे l इसी समय अमेरिका और फ्रांस में युद्ध छिड़ा l इस विषम बेला में लोगों ने एक बार फिर वाशिंगटन को याद किया l अपने कार्यकाल में उन्होंने कर्तव्य निष्ठा, सूझ- बूझ और चारित्रिक गुणों की ऐसी धाक जमा ली थी कि तत्कालीन प्रेसिडेंट मि. एडम्स ने उन्हें देश की बागडोर सम्हालने को कहा l एक प्रमुझ नेता ने अपने अनुरोध भरे पत्र में लिखा ----- " अमेरिका की सारी जनता आप पर विश्वास करती है l यूरोप में एक भी राज्य सिंहासन ऐसा नहीं है जो आपके चरित्र बल के सामने टिक सके l "
स्वामी विवेकानन्द ने एक स्थान पर कहा है --- ' संसार का इतिहास उन मुट्ठीभर व्यक्तियों का बनाया हुआ है जिनके पास चरित्रबल का उत्कृष्ट भण्डार था l यों तो कई योद्धा , विजेता हुए हैं , बड़े - बड़े चक्रवर्ती सम्राट हुए हैं l इतने पर भी इतिहास ने उन्ही व्यक्तियों को अपने ह्रदय में स्थान दिया है जिनका व्यक्तित्व समाज के लिए एक प्रकाश स्तम्भ का कार्य कर सका है l '
आज स्थिति विकट है l आज नेता बहुत हैं , इनसान कम हैं l पहले के नेताओं का एक व्यक्तित्व था ---- राममनोहर लोहिया , सरदार वल्लभभाई पटेल , मौलाना आजाद , आचार्य नरेन्द्रदेव जैसे एक से एक बड़े व्यक्तित्व l आचार्य नरेन्द्रदेव बौद्ध दर्शन के प्रकांड पंडित थे l समाज में उनकी प्रतिष्ठा थी l वे जहाँ से खड़े होते , जीत जाते l लेकिन एक चुनाव में गोरखपुर से खड़े हो गए , लोकसभा के लिए l दूसरे पक्ष ने बाबा राघवदास को उनके खिलाफ खड़ा कर दिया l वे महात्मा थे , अकेले अपरिग्रही , संन्यासी l बाबा में देवत्व की सघनता ज्यादा थी , उनके पास निष्काम कर्म की , नि:स्वार्थ सेवा की पूंजी थी l बाबा राघवदास ने तुलसीदास जी की इस चौपाई को अंग्रेज शासकों के खिलाफ हथियार बनाया ------
जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी l सो नृपु अवसि नरक अधिकारी l
बाबा का देवत्व , पारदर्शिता , उनकी साख के चलते आचार्य नरेन्द्रदेव की जमानत जब्त हो गई l
पेरिस में हुई राज्य क्रांति के समय की घटना है --- तब क्रान्तिकारी जेलों में ठूंसे जा चुके थे l विपक्षी सैनिकों ने कैदखाने में घुसकर इन्हें शाक- भाजी की तरह काटना शुरू कर दिया l इन सैनिकों ने एक बंदी को पहचाना , जिसका नाम था -- आंवी सिफार्ड l यह एक पादरी था l सैनिकों ने सहज श्रद्धावश उसे निकल जाने को कहा l सिफार्ड ने अनुरोध किया कि यदि तुम लोग मेरे बदले उस तरुण महिला को जाने दो , जो गर्भवती है तो मुझे मर कर भी प्रसन्नता होगी l माना कि हम लोगों ने नियम भंग किया , पर गर्भ में पल रहा मासूम तो निर्दोष है , उसे उसकी निर्दोषता का पुरस्कार मिलना चाहिए l पादरी की करुणा व दयाद्र्ता ने -- आंवी सिफार्ड नाम को इतिहास में अमर कर दिया l
चारित्रिक गुणों से व्यक्ति प्रमाणिक हो जाता है , चरित्रवान व्यक्ति की प्रमाणिकता हर किसी के लिए विश्वसनीय होती है l ------ अमेरिका ने वाशिंगटन के नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त की थी l कुछ समय तक शासन सम्हालने के बाद वह राजनीति से विरत होकर सामान्य जीवन व्यतीत करने लगे l इसी समय अमेरिका और फ्रांस में युद्ध छिड़ा l इस विषम बेला में लोगों ने एक बार फिर वाशिंगटन को याद किया l अपने कार्यकाल में उन्होंने कर्तव्य निष्ठा, सूझ- बूझ और चारित्रिक गुणों की ऐसी धाक जमा ली थी कि तत्कालीन प्रेसिडेंट मि. एडम्स ने उन्हें देश की बागडोर सम्हालने को कहा l एक प्रमुझ नेता ने अपने अनुरोध भरे पत्र में लिखा ----- " अमेरिका की सारी जनता आप पर विश्वास करती है l यूरोप में एक भी राज्य सिंहासन ऐसा नहीं है जो आपके चरित्र बल के सामने टिक सके l "
स्वामी विवेकानन्द ने एक स्थान पर कहा है --- ' संसार का इतिहास उन मुट्ठीभर व्यक्तियों का बनाया हुआ है जिनके पास चरित्रबल का उत्कृष्ट भण्डार था l यों तो कई योद्धा , विजेता हुए हैं , बड़े - बड़े चक्रवर्ती सम्राट हुए हैं l इतने पर भी इतिहास ने उन्ही व्यक्तियों को अपने ह्रदय में स्थान दिया है जिनका व्यक्तित्व समाज के लिए एक प्रकाश स्तम्भ का कार्य कर सका है l '
आज स्थिति विकट है l आज नेता बहुत हैं , इनसान कम हैं l पहले के नेताओं का एक व्यक्तित्व था ---- राममनोहर लोहिया , सरदार वल्लभभाई पटेल , मौलाना आजाद , आचार्य नरेन्द्रदेव जैसे एक से एक बड़े व्यक्तित्व l आचार्य नरेन्द्रदेव बौद्ध दर्शन के प्रकांड पंडित थे l समाज में उनकी प्रतिष्ठा थी l वे जहाँ से खड़े होते , जीत जाते l लेकिन एक चुनाव में गोरखपुर से खड़े हो गए , लोकसभा के लिए l दूसरे पक्ष ने बाबा राघवदास को उनके खिलाफ खड़ा कर दिया l वे महात्मा थे , अकेले अपरिग्रही , संन्यासी l बाबा में देवत्व की सघनता ज्यादा थी , उनके पास निष्काम कर्म की , नि:स्वार्थ सेवा की पूंजी थी l बाबा राघवदास ने तुलसीदास जी की इस चौपाई को अंग्रेज शासकों के खिलाफ हथियार बनाया ------
जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी l सो नृपु अवसि नरक अधिकारी l
बाबा का देवत्व , पारदर्शिता , उनकी साख के चलते आचार्य नरेन्द्रदेव की जमानत जब्त हो गई l
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