घटना वर्षों पुरानी है ----- वैशाली महानगरी दुल्हन की तरह सजी थी , राज्य महोत्सव था , राजा- प्रजा सब संगीत और नृत्य के आनंद में डूबता जा रहे थे l अचानक महल में लगे विशाल घंटे की निरंतर बजने की आवाज ने सभी का ध्यान भंग कर दिया l निरंतर बजने का अर्थ था कि शत्रु ने देश पर आक्रमण कर दिया l नृत्य थम गया और युद्ध की रणभेरी वातावरण में गूंजने लगी l शत्रु की विशाल सेना थी और वैशाली के सैनिकों की कोई पूर्व तैयारी नहीं थी , इस कारण उनके पैर उखड़ने लगे l राजा को बंदी बना लिया गया l बाल - वृद्ध , नर नारियों की हत्या एवं लूटपाट से वातावरण चीत्कार कर कर उठा l
नगर नायक महायायन कभी अपनी शूरवीरता के लिए विख्यात थे लेकिन अब वो वृद्ध थे , उनका अपना शरीर भी साथ नहीं दे रहा था l लेकिन अपनी आँखों के सामने यह अत्याचार असहनीय था l वह वृद्ध नायक शत्रु सेनाध्यक्ष से मिलने चल पड़े l शत्रु को सामने देखते ही बोल पड़े ---- " इन मासूमों पर अत्याचार बंद करो l "
शत्रु सेनानायक को न जाने क्या सूझी , उसने वैशाली के नगर नायक महायायन के सामने एक विचित्र शर्त रखी कि ---- तुम जितनी देर सामने बह रही नदी में डूबे रहोगे , हमारी सेना लूटपाट एवं हत्या बंद रखेगी l शर्त स्वीकार कर अविलम्ब वृद्ध महायायन नदी में कूद पड़े l वचनबद्ध शत्रु सेना नायक ने अपनी सेना को तब तक लूटपाट बंद रखने को कहा जब तक कि वृद्ध का सिर पानी से बाहर दिखाई न पड़े l विशाल सेना खड़ी महायायन का सिर पानी के बाहर निकलने की प्रतीक्षा में , लेकिन प्रात: से दोपहर , दोपहर से शाम हो गई , आखिर सेनानायक ने गोताखोरों को वृद्ध का पता लगाने के लिए कहा l लम्बी खोजबीन के बाद महायायन का मृत शरीर चट्टान से लिपटा पाया गया l उसने दोनों हाथों से चट्टान को मजबूती से पकड़े ही दम तोड़ दिया था l इस अनुपम त्याग और बलिदान को देखकर शत्रु सेनानायक का ह्रदय द्रवित हो गया l
मानवता के इस वृद्ध पुजारी के समक्ष अपनी हार स्वीकार करते हुए उसने सेना को वापस लौटने का आदेश दे दिया l
नगर नायक महायायन कभी अपनी शूरवीरता के लिए विख्यात थे लेकिन अब वो वृद्ध थे , उनका अपना शरीर भी साथ नहीं दे रहा था l लेकिन अपनी आँखों के सामने यह अत्याचार असहनीय था l वह वृद्ध नायक शत्रु सेनाध्यक्ष से मिलने चल पड़े l शत्रु को सामने देखते ही बोल पड़े ---- " इन मासूमों पर अत्याचार बंद करो l "
शत्रु सेनानायक को न जाने क्या सूझी , उसने वैशाली के नगर नायक महायायन के सामने एक विचित्र शर्त रखी कि ---- तुम जितनी देर सामने बह रही नदी में डूबे रहोगे , हमारी सेना लूटपाट एवं हत्या बंद रखेगी l शर्त स्वीकार कर अविलम्ब वृद्ध महायायन नदी में कूद पड़े l वचनबद्ध शत्रु सेना नायक ने अपनी सेना को तब तक लूटपाट बंद रखने को कहा जब तक कि वृद्ध का सिर पानी से बाहर दिखाई न पड़े l विशाल सेना खड़ी महायायन का सिर पानी के बाहर निकलने की प्रतीक्षा में , लेकिन प्रात: से दोपहर , दोपहर से शाम हो गई , आखिर सेनानायक ने गोताखोरों को वृद्ध का पता लगाने के लिए कहा l लम्बी खोजबीन के बाद महायायन का मृत शरीर चट्टान से लिपटा पाया गया l उसने दोनों हाथों से चट्टान को मजबूती से पकड़े ही दम तोड़ दिया था l इस अनुपम त्याग और बलिदान को देखकर शत्रु सेनानायक का ह्रदय द्रवित हो गया l
मानवता के इस वृद्ध पुजारी के समक्ष अपनी हार स्वीकार करते हुए उसने सेना को वापस लौटने का आदेश दे दिया l
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