हमारे धर्म - ग्रँथों का एक मूल मन्त्र है --- जो नम्र होकर झुकते हैं , वही ऊपर उठते हैं l
विनम्र व्यक्ति संवेदनशील होता है और दूसरों की भावनाओं का सम्मान कर सकता है l विनम्रता हमारे व्यक्तित्व में निखार लाती है l विनम्रता के वास्तविक अर्थ को समझाने वाली एक कथा है एक बार बाबा फरीद से मिलने एक राजा आया , वह बड़ा अहंकारी था l बाबा के लिए उपहार स्वरुप एक तलवार लाया l उसने बाबा से कहा --- " यह भेंट आपके लिए है l " भेंट देखकर बाबा फरीद बोले ----- " यह बेशकीमती तलवार मेरे किसी काम की नहीं l मुझे कुछ देना ही चाहते हो तो सुई के साथ विनम्रता का उपहार दो l वह मेरे लिए ऐसी सौ तलवारों से भी अधिक कीमती होगा l " राजा कुछ समझ न सका और बोला --- " बाबा ! सुई और विनम्रता ऐसी सौ तलवारों का मुकाबला कैसे कर सकती है ?
बाबा बोले ---- " तलवार लोगों को मारने - काटने का काम करती है जबकि सुई सिलने का , चीजों को जोड़ने का काम करती है l तोड़ना आसान है और जोड़ना कठिन l विनम्रता से व्यक्ति उन सभी को जीत लेता है जिन्हें वह अहंकारवश नहीं जीत सकता l l "
राजा ने बाबा की बात का अभिप्राय समझा और उनके चरणों में सिर झुका कर कहा ---- " बाबा ! आज आपने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी l आज से मैं जोड़ने का काम करूँगा , विनम्रता से प्रजा की सेवा करूँगा l "
विनम्र व्यक्ति संवेदनशील होता है और दूसरों की भावनाओं का सम्मान कर सकता है l विनम्रता हमारे व्यक्तित्व में निखार लाती है l विनम्रता के वास्तविक अर्थ को समझाने वाली एक कथा है एक बार बाबा फरीद से मिलने एक राजा आया , वह बड़ा अहंकारी था l बाबा के लिए उपहार स्वरुप एक तलवार लाया l उसने बाबा से कहा --- " यह भेंट आपके लिए है l " भेंट देखकर बाबा फरीद बोले ----- " यह बेशकीमती तलवार मेरे किसी काम की नहीं l मुझे कुछ देना ही चाहते हो तो सुई के साथ विनम्रता का उपहार दो l वह मेरे लिए ऐसी सौ तलवारों से भी अधिक कीमती होगा l " राजा कुछ समझ न सका और बोला --- " बाबा ! सुई और विनम्रता ऐसी सौ तलवारों का मुकाबला कैसे कर सकती है ?
बाबा बोले ---- " तलवार लोगों को मारने - काटने का काम करती है जबकि सुई सिलने का , चीजों को जोड़ने का काम करती है l तोड़ना आसान है और जोड़ना कठिन l विनम्रता से व्यक्ति उन सभी को जीत लेता है जिन्हें वह अहंकारवश नहीं जीत सकता l l "
राजा ने बाबा की बात का अभिप्राय समझा और उनके चरणों में सिर झुका कर कहा ---- " बाबा ! आज आपने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी l आज से मैं जोड़ने का काम करूँगा , विनम्रता से प्रजा की सेवा करूँगा l "
No comments:
Post a Comment