दार्शनिक च्वान्ग्त्से को रात्रि के समय कब्रिस्तान से होकर गुजरते समय पैर में ठोकर लगी l टटोल कर देखा तो किसी मुर्दे की खोपड़ी थी l उठाकर उनने उसे अपनी झोली में रख लिया और सदा साथ रखने लगे l शिष्य ने इस पर उनसे पूछा -- यह इतना गन्दा और कुरूप है l उसे आप साथ क्यों रखते हो ? च्वान्ग्त्से ने उत्तर दिया ---- ' यह मेरे दिमाग का तनाव दूर करने की अच्छी दवा है l जब अहंकार का आवेश चढ़ता है , लालच सताता है तो इस खोपड़ी को गौर से देखता हूँ l कल परसों अपनी भी ऐसी ही दुर्गति होगी तो अहंकार और लालच किसका किया जाये ?
वे मृत्यु का स्मरण रखने , अनुचित आवेशों के समय का उपयुक्त उपचार बताया करते थे और इसके लिए मुर्दे की खोपड़ी का ध्यान करने की सलाह दिया करते थे और वे स्वयं खोपड़ी सदा साथ रखते थे l
वे मृत्यु का स्मरण रखने , अनुचित आवेशों के समय का उपयुक्त उपचार बताया करते थे और इसके लिए मुर्दे की खोपड़ी का ध्यान करने की सलाह दिया करते थे और वे स्वयं खोपड़ी सदा साथ रखते थे l
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