क्योंकि शुष्कता में ही क्रूरता का जन्म होता है l मासूम , निर्दोष और निरीह लोगों को मारकर अपनी कायराना हरकतों को अंजाम देना इनका कार्य होता है l पहले चोर - डाकुओं को पहचानना सरल था , उनकी एक बिरादरी होती थी लेकिन आज वे आम व्यक्ति के समान समाज में घुल - मिल गए हैं l आतंकवादी कहीं भी और किसी भी रूप में क्यों न रहें , क्रूरता और निर्दयता ही उनका परिचय है l उनके ह्रदय में मानवता नहीं होती है l
आतंकवादी की मानसिकता को समझाने वाली एक घटना है ----- महाभारत के युद्ध के समय की घटना है ---- द्रोणपुत्र अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भस्थ शिशु को मार डाला l इस अमानवीय कृत्य से सभी चीत्कार कर उठे l द्रोपदी ने इसका बदला लेने के लिए भीम से कहा , अश्वत्थामा को उचित दंड देने का निवेदन किया l परन्तु परम नीतिज्ञ भगवान श्रीकृष्ण ने भीम को अश्वत्थामा के पास जाने से रोका और कहा कि इस समय अश्वत्थामा राक्षस बन गया है l वह अपनी सभी मर्यादाओं और नीतियों को भुलाकर दानव की साक्षात् मूर्ति बन गया है l वह भीम को भी मार सकता है , इस मन:स्थिति में उससे मानवीयता की उम्मीद नहीं की जा सकती l ठीक यही मानसिकता आतंकवादियों की होती है l
ऐसे ही आतंकवादी आज समाज में घुल - मिलकर रहते हैं और अपनी ऐसी क्रूर मानसिकता के कारण अमानवीय घटनाओं को अंजाम देते हैं l
साहस सदभाव के अभाव के कारण अनीति और अत्याचार सिर उठाने लगते हैं l दृढ इच्छा शक्ति और साहस तथा गहरी समझ के साथ ही इस समस्या को हल किया जा सकता है l
आतंकवादी की मानसिकता को समझाने वाली एक घटना है ----- महाभारत के युद्ध के समय की घटना है ---- द्रोणपुत्र अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भस्थ शिशु को मार डाला l इस अमानवीय कृत्य से सभी चीत्कार कर उठे l द्रोपदी ने इसका बदला लेने के लिए भीम से कहा , अश्वत्थामा को उचित दंड देने का निवेदन किया l परन्तु परम नीतिज्ञ भगवान श्रीकृष्ण ने भीम को अश्वत्थामा के पास जाने से रोका और कहा कि इस समय अश्वत्थामा राक्षस बन गया है l वह अपनी सभी मर्यादाओं और नीतियों को भुलाकर दानव की साक्षात् मूर्ति बन गया है l वह भीम को भी मार सकता है , इस मन:स्थिति में उससे मानवीयता की उम्मीद नहीं की जा सकती l ठीक यही मानसिकता आतंकवादियों की होती है l
ऐसे ही आतंकवादी आज समाज में घुल - मिलकर रहते हैं और अपनी ऐसी क्रूर मानसिकता के कारण अमानवीय घटनाओं को अंजाम देते हैं l
साहस सदभाव के अभाव के कारण अनीति और अत्याचार सिर उठाने लगते हैं l दृढ इच्छा शक्ति और साहस तथा गहरी समझ के साथ ही इस समस्या को हल किया जा सकता है l
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