वे सारे कर्म जिनसे आत्मा का विकास हो , परमात्मा का सामीप्य प्राप्त हो और संसार का हित साधन हो --- जीवन का सदुपयोग है l जिसका फल पुण्य, पावनता और अनन्त शान्ति के रूप में मनुष्य को मिलता है l
इसके विपरीत सारे कर्म और सारे मंतव्य जीवन का दुरूपयोग है , उसको नष्ट करना है l
संसार की सुख शान्ति तथा सुन्दरता बढ़ाने के लिए ही परमात्मा ने यह मानव जीवन प्रदान किया है l इस मंतव्य में ही इसको लगाये रखना जीवन की तथा सम्मान करना है l
इसके विपरीत सारे कर्म और सारे मंतव्य जीवन का दुरूपयोग है , उसको नष्ट करना है l
संसार की सुख शान्ति तथा सुन्दरता बढ़ाने के लिए ही परमात्मा ने यह मानव जीवन प्रदान किया है l इस मंतव्य में ही इसको लगाये रखना जीवन की तथा सम्मान करना है l
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