' हम सबके भीतर महानतम , श्रेष्ठतम बनने की संभावनाएं हैं l कभी - कभी जीवन को गढ़ने वाला गुरु , मार्गदर्शक मिल जाता है तो हम क्या से क्या बन जाते हैं l
एक मंदिर बन रहा था l देश भर से आये शिल्पी पत्थरों पर छैनी से काम कर रहे थे l एक पत्थर कारीगरों के मुखिया ने बेकार समझकर फेंक दिया l रास्ते में पड़ा वह पत्थर मजदूर - राहगीरों की ठोकरें खाता, इधर - उधर होता व उदास मन से देखता रहता कि और तो सँवरकर मूर्ति का रूप लेकर निखर रहे हैं l मैं अभागा पैरों के नीचे दबाया जा रहा हूँ l
एक दिन एक राजकलाकार उधर से गुजरा l उसने वह बेकार पड़ा हुआ पत्थर उठाया , छैनी चलानी आरम्भ की व देखते - देखते कुछ ही घंटों में एक सुन्दर सी मूर्ति तराशकर खड़ी कर दी l सबने उसकी प्रशंसा की कि वह बड़ा प्रतिभाशाली है l एक राह के रोड़े को रूपांतरित कर दिया l
कलाकार बोला ---- " मैं तो औरों की तरह ही हूँ l जो पत्थर में से प्रकट किया है , वह था पत्थर के अन्दर ही l मैंने तो मात्र पहचाना व उकेरा है l "
हम सबके भीतर भी श्रेष्ठतम बनने की संभावनाएं हैं l जब जीवन को गढ़ने वाला गुरु , मार्गदर्शक मिल जाता है तो हम क्या से क्या बन जाते हैं l
एक मंदिर बन रहा था l देश भर से आये शिल्पी पत्थरों पर छैनी से काम कर रहे थे l एक पत्थर कारीगरों के मुखिया ने बेकार समझकर फेंक दिया l रास्ते में पड़ा वह पत्थर मजदूर - राहगीरों की ठोकरें खाता, इधर - उधर होता व उदास मन से देखता रहता कि और तो सँवरकर मूर्ति का रूप लेकर निखर रहे हैं l मैं अभागा पैरों के नीचे दबाया जा रहा हूँ l
एक दिन एक राजकलाकार उधर से गुजरा l उसने वह बेकार पड़ा हुआ पत्थर उठाया , छैनी चलानी आरम्भ की व देखते - देखते कुछ ही घंटों में एक सुन्दर सी मूर्ति तराशकर खड़ी कर दी l सबने उसकी प्रशंसा की कि वह बड़ा प्रतिभाशाली है l एक राह के रोड़े को रूपांतरित कर दिया l
कलाकार बोला ---- " मैं तो औरों की तरह ही हूँ l जो पत्थर में से प्रकट किया है , वह था पत्थर के अन्दर ही l मैंने तो मात्र पहचाना व उकेरा है l "
हम सबके भीतर भी श्रेष्ठतम बनने की संभावनाएं हैं l जब जीवन को गढ़ने वाला गुरु , मार्गदर्शक मिल जाता है तो हम क्या से क्या बन जाते हैं l
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