' क्रोध एक ऐसा विष है जो मनुष्य के चिंतन और व्यक्तित्व को विषाक्तता में बदल देता है l क्रोध एक ऐसे विकार के रूप में है , जो कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है l चिकित्सकों के अनुसार कैंसर , उच्च रक्त चाप , सिरदर्द और मानसिक रोगों की एक मुख्य वजह क्रोध ही है l यह एक ऐसा मनोविकार है जो बुद्धि , विवेक और भावना सबको नष्ट कर देता है l
क्रोध का सबसे पहला प्रहार विवेक पर और दूसरा प्रहार होश पर होता है l इसलिए कठिन कार्यों , संकट के समय व अपमान होने पर धैर्य धारण की सलाह दी जाती है l इसके अलावा शारीरिक और मानसिक उर्जा का जितना क्षय क्रोध से होता है उतना किसी दूसरी वजह से नहीं होता l
यदि क्रोध पर नियंत्रण पाना है तो हमें अपनी समझ को इतना परिपक्व कर लेना चाहिए की वह क्रोध के आवेश में न आ सके l
क्रोध का सबसे पहला प्रहार विवेक पर और दूसरा प्रहार होश पर होता है l इसलिए कठिन कार्यों , संकट के समय व अपमान होने पर धैर्य धारण की सलाह दी जाती है l इसके अलावा शारीरिक और मानसिक उर्जा का जितना क्षय क्रोध से होता है उतना किसी दूसरी वजह से नहीं होता l
यदि क्रोध पर नियंत्रण पाना है तो हमें अपनी समझ को इतना परिपक्व कर लेना चाहिए की वह क्रोध के आवेश में न आ सके l
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