अर्नाल्ड टायनबी लिखते हैं ---- "हमारे कर्म हमारे लिए एक नैतिक स्तर का बैंक अकाउन्ट बनाते हैं जिसमे क्रैडिट व डैबिट का संतुलन चलता रहता है I हर कर्म के साथ ताजी एंट्री होती रहती है व दोनों खाते हर बार रिन्यू होते रहते हैं I " वे लिखते हैं कि---- " बड़ी निराली व्यवस्था भारतीय ऋषियों की यह है जिसमे व्यक्ति गणितीय सिद्धांत के अनुसार शुभ कर्म करते हुए अपने लिए देवत्व का शुभ मार्ग चुन सकता है l "
एक स्वचालित ' कर्म पुरुषार्थ ' का चक्र सतत चल रहा है I
एक स्वचालित ' कर्म पुरुषार्थ ' का चक्र सतत चल रहा है I
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