बात उन दिनों की है जब भगतसिंह जेल में थे l कोठरी में रोशनी कम थी और वे पढ़ने में व्यस्त थे l एक साथी ने आवाज दी --- " अरे , क्या कर रहे हैं ? " उत्तर में भगतसिंह ने कहा --- " एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से मिल रहा है l " आवाज देने वाले उनके साथी ने देखा कि उनके हाथों में लोकमान्य तिलक द्वारा लिखा गया श्रीमद् भगवद्गीता का भाष्य ' गीता - रहस्य ' था l
पूछने वाले ने कहा --- " तुम तो कह रहे थे कि तुम क्रांतिकारी से मिल रहे हो , पर तुम तो गीता - रहस्य पढ़ रहे हो l "
भगतसिंह ने कहा --- " यही तो हमारी मुलाकात का रहस्य है l इस मुलाकात में एक नहीं , तीन क्रांतिकारी साथ थे --- पहले क्रांतिकारी स्वयं श्रीकृष्ण , दूसरे लोकमान्य तिलक और तीसरा मैं स्वयं l भगतसिंह कह रहे थे --- " क्रांति उन लोगों के दिलों में बसती है , जो सच्चे हैं , साहसी हैं , जिन्हें अनीति , अनाचार से समझौता करना नहीं आता और क्रांतिकारी वह है जो अपने दिल में लगी हुई क्रांति की आग दूसरे के दिलों में लगाना जानता है , जो अपने मन - मस्तिष्क में छिपे हुए क्रांति के विचार - बीज दूसरे के मन - मस्तिष्क में बोना जानता है l हिरण्यकशिपु की निरंकुशता को अस्वीकार करने वाला प्रह्लाद भी सच्चा क्रांतिकारी था l अपने स्वामी विवेकानंद क्रांति के सच्चे पथ - प्रदर्शक थे l
अपनी जेल की कोठरी में टहलते हुए वे बोले ---- " जिस तरह लोकमान्य तिलक ने ' गीता - रहस्य ' लिखा उसी तरह गीता का क्रांतिदर्शन भी लिखा जाना चाहिए l जिसमे प्रखर विवेक और प्रचंड वैराग्य है , वही सच्चा क्रांतिकारी बन सकता है l अगले दिनों क्रांति बम - पिस्तौल से नहीं , विचारों से होगी l "
क्रांति की जरुरत केवल राजनीति में नहीं , बल्कि हर कहीं है l सच्ची आजादी तब है जब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असंभव हो जाये l l क्रांति को धर्म के रूप में अपनाएं , एक ऐसा महान धर्म , जो अनौचित्य के विनाश के लिए संकल्पित है l
पूछने वाले ने कहा --- " तुम तो कह रहे थे कि तुम क्रांतिकारी से मिल रहे हो , पर तुम तो गीता - रहस्य पढ़ रहे हो l "
भगतसिंह ने कहा --- " यही तो हमारी मुलाकात का रहस्य है l इस मुलाकात में एक नहीं , तीन क्रांतिकारी साथ थे --- पहले क्रांतिकारी स्वयं श्रीकृष्ण , दूसरे लोकमान्य तिलक और तीसरा मैं स्वयं l भगतसिंह कह रहे थे --- " क्रांति उन लोगों के दिलों में बसती है , जो सच्चे हैं , साहसी हैं , जिन्हें अनीति , अनाचार से समझौता करना नहीं आता और क्रांतिकारी वह है जो अपने दिल में लगी हुई क्रांति की आग दूसरे के दिलों में लगाना जानता है , जो अपने मन - मस्तिष्क में छिपे हुए क्रांति के विचार - बीज दूसरे के मन - मस्तिष्क में बोना जानता है l हिरण्यकशिपु की निरंकुशता को अस्वीकार करने वाला प्रह्लाद भी सच्चा क्रांतिकारी था l अपने स्वामी विवेकानंद क्रांति के सच्चे पथ - प्रदर्शक थे l
अपनी जेल की कोठरी में टहलते हुए वे बोले ---- " जिस तरह लोकमान्य तिलक ने ' गीता - रहस्य ' लिखा उसी तरह गीता का क्रांतिदर्शन भी लिखा जाना चाहिए l जिसमे प्रखर विवेक और प्रचंड वैराग्य है , वही सच्चा क्रांतिकारी बन सकता है l अगले दिनों क्रांति बम - पिस्तौल से नहीं , विचारों से होगी l "
क्रांति की जरुरत केवल राजनीति में नहीं , बल्कि हर कहीं है l सच्ची आजादी तब है जब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असंभव हो जाये l l क्रांति को धर्म के रूप में अपनाएं , एक ऐसा महान धर्म , जो अनौचित्य के विनाश के लिए संकल्पित है l
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