विनम्रता से व्यक्ति का विवेक जाग्रत होता है , समझदारी बढ़ती है जबकि अहंकार होने पर व्यक्ति का विवेक कुंद हो जाता है l अहंकार व्यक्तित्व में पनपने वाली दुर्गन्ध है जबकि विनम्रता सुगंध है l विनम्रता से मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास होता है l विनम्र व्यक्ति संवेदनशील होता है l
इस सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा है कि एक शबर जाति के भील से महर्षि व्यास ने ' वृक्ष नमन ' मन्त्र विद्दा सीखी l इस मन्त्र की शक्ति से खजूर और नारियल जैसे बड़े वृक्ष नीचे झुक जाते थे और कार्य पूरा होने पर पुन: अपनी जगह पर आ जाते थे l
भील मन में ऐसा सोचता था कि महर्षि व्यास महापुरुष हैं , ऋषि - मुनि और भगवान श्रीकृष्ण भी उनका आदर करते है , अत: वे हमारा ( भील ) आदर नहीं करेंगे l यदि मन्त्र और मंत्रदाता का आदर न हो तो मन्त्र फलता नहीं है l
किन्तु व्यासजी जितने ज्ञानी थे उनमे उतनी ही विनम्रता थी l एक बार जब भील उनसे मिलने गया , तो व्यासजी ने अपने आसन से उठकर उसका सत्कार किया और गुरु की तरह उसे सम्मान दिया l भील ने यह बात जब अपने पिता को बताई तो उन्होंने कहा --- व्यासजी महान हैं l इतनी विनम्रता महान पुरुषों में ही हो सकती है l
इस सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा है कि एक शबर जाति के भील से महर्षि व्यास ने ' वृक्ष नमन ' मन्त्र विद्दा सीखी l इस मन्त्र की शक्ति से खजूर और नारियल जैसे बड़े वृक्ष नीचे झुक जाते थे और कार्य पूरा होने पर पुन: अपनी जगह पर आ जाते थे l
भील मन में ऐसा सोचता था कि महर्षि व्यास महापुरुष हैं , ऋषि - मुनि और भगवान श्रीकृष्ण भी उनका आदर करते है , अत: वे हमारा ( भील ) आदर नहीं करेंगे l यदि मन्त्र और मंत्रदाता का आदर न हो तो मन्त्र फलता नहीं है l
किन्तु व्यासजी जितने ज्ञानी थे उनमे उतनी ही विनम्रता थी l एक बार जब भील उनसे मिलने गया , तो व्यासजी ने अपने आसन से उठकर उसका सत्कार किया और गुरु की तरह उसे सम्मान दिया l भील ने यह बात जब अपने पिता को बताई तो उन्होंने कहा --- व्यासजी महान हैं l इतनी विनम्रता महान पुरुषों में ही हो सकती है l
No comments:
Post a Comment