शोषण और गरीबी हमारे समाज का बहुत बड़ा अभिशाप है , इससे मुक्त हुए बिना सामाजिक सुव्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती l
सफलता शक्तिवानों का वरण करती है l विजयी होने के लिए केवल शस्त्र बल , सैन्य बल व भौतिक बल ही पर्याप्त नहीं है l इसके लिए आत्म शक्ति की , नैतिक बल की भी बहुत आवश्यकता है l अत्याचार , अन्याय , आसुरी तत्वों से निपटने के लिए दैवी कृपा भी बहुत जरुरी है l इस कृपा को पाने के लिए मनुष्य के भीतर छल - कपट नहीं होना चाहिए l
भगवान राम ने रावण से युद्ध के पूर्व ' शक्ति पूजा' की l नैतिक बल को चिरस्थायी बनाये रखने के लिए देवी की आराधना की l देवी ने उन्हें ' विजयी भव ' का आशीर्वाद दिया l
शक्ति - पूजा तो रावण ने भी की लेकिन उसके पास नैतिक बल नहीं था , उसने परायी स्त्री का अपहरण किया था l चारों और फैले हुए उसके राक्षसों ने ऋषियों पर , सज्जनों पर बहुत अत्याचार किये थे , इस कारण देवी ने उसे ' कल्याण हो ' आशीर्वाद दिया l क्योंकि आसुरी तत्वों के मिट जाने में ही समाज का कल्याण है l
सफलता शक्तिवानों का वरण करती है l विजयी होने के लिए केवल शस्त्र बल , सैन्य बल व भौतिक बल ही पर्याप्त नहीं है l इसके लिए आत्म शक्ति की , नैतिक बल की भी बहुत आवश्यकता है l अत्याचार , अन्याय , आसुरी तत्वों से निपटने के लिए दैवी कृपा भी बहुत जरुरी है l इस कृपा को पाने के लिए मनुष्य के भीतर छल - कपट नहीं होना चाहिए l
भगवान राम ने रावण से युद्ध के पूर्व ' शक्ति पूजा' की l नैतिक बल को चिरस्थायी बनाये रखने के लिए देवी की आराधना की l देवी ने उन्हें ' विजयी भव ' का आशीर्वाद दिया l
शक्ति - पूजा तो रावण ने भी की लेकिन उसके पास नैतिक बल नहीं था , उसने परायी स्त्री का अपहरण किया था l चारों और फैले हुए उसके राक्षसों ने ऋषियों पर , सज्जनों पर बहुत अत्याचार किये थे , इस कारण देवी ने उसे ' कल्याण हो ' आशीर्वाद दिया l क्योंकि आसुरी तत्वों के मिट जाने में ही समाज का कल्याण है l
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