' विचारपूर्ण पुस्तकें देवता होती हैं l उनकी प्रतिष्ठा यदि घर में होगी तो वे अपनी उपयोगिता सिद्ध कर के ही रहेंगी l
सद्विचार और सत्कर्मों का जोड़ होना बहुत आवश्यक है l विचारों की शक्ति जब तक कर्म में अभिव्यक्त नहीं होती उसका पूरा लाभ नहीं होता l
सद्विचार और सत्कर्मों का जोड़ होना बहुत आवश्यक है l विचारों की शक्ति जब तक कर्म में अभिव्यक्त नहीं होती उसका पूरा लाभ नहीं होता l
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