पं. श्रीराम शर्मा आचार्यजी ने अखंड ज्योति में लिखा है --- ' मंदिर , गिरजे , गुरूद्वारे टूटकर खंडहर बन जाते हैं , गिरकर नष्ट हो जाते हैं , लेकिन उत्तम ज्ञान और सच्चे विचार कभी नष्ट नहीं होते l ज्ञान वह सीपी है , जिसमे प्रवेश कर मनुष्य का जीवन मोती बन जाता है l '
आचार्यजी का कहना है ---- " दुर्भाग्य कभी हाथ धोकर पीछे पड़ जाये , ऐसा लगे कि एक भी उपाय प्रगति पथ पर स्थिर रखने में समर्थ नहीं है , सभी ओर असफलता ही असफलता , अंधकार ही अंधकार प्रतीत हो रहा हो तब तुम महापुरुषों के ग्रन्थ पढ़ना l विचारों का सत्संग तुम्हारे जीवन में फिर से प्रकाश लायेगा l तुम्हारे दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की शक्ति उत्तम ज्ञान में सन्निहित है l जब समस्त शक्तियां साथ छोड़ दें तब तुम उत्तम पुस्तकों को मित्र बनाकर आगे बढ़ना l एकाकी और असहायपन के बीच तुम्हे मौन मैत्री और प्रकाश की वह किरण मिल जाएगी जो तुम्हारा हाथ पकड़कर तुम्हे निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुंचा देगी l
आचार्यजी का कहना है ---- " दुर्भाग्य कभी हाथ धोकर पीछे पड़ जाये , ऐसा लगे कि एक भी उपाय प्रगति पथ पर स्थिर रखने में समर्थ नहीं है , सभी ओर असफलता ही असफलता , अंधकार ही अंधकार प्रतीत हो रहा हो तब तुम महापुरुषों के ग्रन्थ पढ़ना l विचारों का सत्संग तुम्हारे जीवन में फिर से प्रकाश लायेगा l तुम्हारे दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की शक्ति उत्तम ज्ञान में सन्निहित है l जब समस्त शक्तियां साथ छोड़ दें तब तुम उत्तम पुस्तकों को मित्र बनाकर आगे बढ़ना l एकाकी और असहायपन के बीच तुम्हे मौन मैत्री और प्रकाश की वह किरण मिल जाएगी जो तुम्हारा हाथ पकड़कर तुम्हे निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुंचा देगी l
मैं इंडिया में wisdom पढ़ता हूँ. आपके लेख 24 घण्टे बाद मेरे मेल में आते थे और 18. अप्रेल को आपने मुझे त्याग दिया है. आपके चरण छूकर विनती है कि हम पर दया भाव बनाये रखिये और हमारे परिवार को wisdom से जोड़कर रखिये.
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