चीन के प्रसिद्ध क्रांतिकारी डॉ. सनयातसेन में नि:स्वार्थता और देशभक्ति का गुण चरम सीमा पर था , इस द्रष्टि से उनकी तुलना गांधीजी से की जा सकती है l उन्हें आरम्भ से एक ही धुन थी कि किस प्रकार चीन को जागृत और स्वावलंबी बनाकर संसार के अन्य प्रगतिशील देशों के समकक्ष खड़ा किया जाये l इसके लिए उन्होंने अपनी समस्त सुख - सुविधाओं का ख्याल छोड़ दिया और वर्षों तक एक देश से दूसरे देश मारे - मारे फिरते रहे नहीं रखा l उन्होंने तीस वर्ष तक देशोद्धार के लिए घोर परिश्र्ण और आत्मत्याग किया और इस कार्य उन्होंने कभी कोई स्वार्थभाव नहीं रखा l उन्होंने अनेक आंदोलनों को सफल बनाया , पर स्वयं पद लेने की इच्छा कभी नहीं की l जब लोगों ने ही कोई दूसरा सुयोग्य व्यक्ति न देखकर कार्यभार उनके कन्धों पर डाल दिया तभी उन्होंने कोई पद स्वीकार किया l अब राजनीति पदलोलुपता और धन कमाने का जरिया बन गई है , ऐसे में डॉ. सनयातसेन का जीवन प्रेरणादायक है l
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