संसार में एक भी उदाहरण ऐसा न मिलेगा , जिसमे परिश्रम के बिना बड़ी सफलताएँ प्राप्त की गई हों l जिन्हें अपना भविष्य उज्ज्वल बनाने में दिलचस्पी हो , उन्हें कठोर परिश्रम करने की आदत डालनी चाहिए और समय के एक - एक क्षण को व्यस्त रखने के लिए तत्पर रहना चाहिए l यह अभ्यास क्रमशः प्रगति पथ पर अग्रसर करता चला जायेगा और एक दिन उन्नति के चरम शिखर तक जा पहुँचने की संभावनाएं मूर्तिमान होकर सामने आ उपस्थित होंगी l आचार्यजी का मत है कि सद्गुणों की पंक्ति में पहला नंबर श्रमशीलता का आता है l
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