आचार्य जी ने लिखा है --- ' विश्वास से विश्वास पैदा होता है , किन्तु अविश्वास से अविश्वास का ही वातावरण फैलता है l '
औरंगजेब मुग़ल वंश का अंतिम प्रभावशाली सम्राट हुआ l वह अपने भाइयों में सबसे छोटा था , जो कभी शहंशाह न बनता , किन्तु बुद्धि में वह सबसे चतुर था l उसने अपने पिता को छल - बल से जेलखाने में डाला और एक - एक कर के सब भाइयों की हत्या कर दी l धोखा , झूठ , कपट , फरेब , हत्या -- जो कुछ भी संभव था , वह उसने काम में लिया और भारत का सम्राट हुआ और दीर्घकाल तक राज्य किया l वह हिन्दू , मुसलमान किसी का प्यारा न बन सका l वह भारत का सम्राट था , संसार के समस्त वैभव , सुख - सुविधाएँ उसे प्राप्त थीं लेकिन वह मानसिक रूप से बेहद अशान्त था उसके मन में सबके प्रति घोर अविश्वास था l वह अनेकों को मारकर या सताकर शहंशाह बना था l इसलिए सभी को अपने शत्रु रूप में देखता था l खाने - पीने में उसे अपने रसोइये पे विश्वास न था l उसे सदा डर था कि कोई उसे जहर न दे दे l उसे अपने सैनिकों , फौज के अफसर , कार्यकर्ताओं , पुत्र - पुत्रियों किसी पर विश्वास न था l वह सभी को धोखेबाज , मक्कार , बेईमान , झूठे , फरेबी समझता था l उसके शासनकाल में अविश्वास का यह विषैला जहर पुरे भारत में विस्तृत होकर फैल गया l वह दमन से काम लेता था , इसलिए लोग उससे घ्रणा करते थे l उसे यही डर रहता था कि न जाने किस ओर से उसके प्रति विद्वेष और कटुता का ज्वालामुखी फूट पड़े l यह अविश्वास ही अंततः विशाल मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बना l
अविश्वास के कारण घर , परिवार , समाज , राष्ट्र --- सम्पूर्ण वातावरण अस्वस्थ विचारों से बोझिल हो जाता है और हर व्यक्ति दूसरे से डरता है l
औरंगजेब मुग़ल वंश का अंतिम प्रभावशाली सम्राट हुआ l वह अपने भाइयों में सबसे छोटा था , जो कभी शहंशाह न बनता , किन्तु बुद्धि में वह सबसे चतुर था l उसने अपने पिता को छल - बल से जेलखाने में डाला और एक - एक कर के सब भाइयों की हत्या कर दी l धोखा , झूठ , कपट , फरेब , हत्या -- जो कुछ भी संभव था , वह उसने काम में लिया और भारत का सम्राट हुआ और दीर्घकाल तक राज्य किया l वह हिन्दू , मुसलमान किसी का प्यारा न बन सका l वह भारत का सम्राट था , संसार के समस्त वैभव , सुख - सुविधाएँ उसे प्राप्त थीं लेकिन वह मानसिक रूप से बेहद अशान्त था उसके मन में सबके प्रति घोर अविश्वास था l वह अनेकों को मारकर या सताकर शहंशाह बना था l इसलिए सभी को अपने शत्रु रूप में देखता था l खाने - पीने में उसे अपने रसोइये पे विश्वास न था l उसे सदा डर था कि कोई उसे जहर न दे दे l उसे अपने सैनिकों , फौज के अफसर , कार्यकर्ताओं , पुत्र - पुत्रियों किसी पर विश्वास न था l वह सभी को धोखेबाज , मक्कार , बेईमान , झूठे , फरेबी समझता था l उसके शासनकाल में अविश्वास का यह विषैला जहर पुरे भारत में विस्तृत होकर फैल गया l वह दमन से काम लेता था , इसलिए लोग उससे घ्रणा करते थे l उसे यही डर रहता था कि न जाने किस ओर से उसके प्रति विद्वेष और कटुता का ज्वालामुखी फूट पड़े l यह अविश्वास ही अंततः विशाल मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बना l
अविश्वास के कारण घर , परिवार , समाज , राष्ट्र --- सम्पूर्ण वातावरण अस्वस्थ विचारों से बोझिल हो जाता है और हर व्यक्ति दूसरे से डरता है l
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