प्रकृति अनुशासन से आबद्ध है l जो भी अनुशासन को तोड़ेगा उसे क्षमा नहीं मिल सकती l भगवान राम करुणाकर थे , लेकिन असुरों को क्षमा नहीं किया l दुर्योधन , दु:शासन को उनकी उद्दंडता के लिए क्षमा नहीं किया गया और उनकी अनीति , अत्याचारों को चुपचाप देखने वाले , उनके पक्ष में खड़े होने वाले भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य, कृपाचार्य , कर्ण और सभी कौरव मारे गए l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने लिखा है ---- '' अनीति , अत्याचार का विरोध होना चाहिए l अनीति का साथ देना अनीति करने जैसा है l परन्तु दंड देने का अधिकार सभी को नहीं होता l इसकी व्यवस्था होती है और व्यवस्था पर दंड का निर्णय छोड़कर हमें उसका प्रबल विरोध करना चाहिए l अत: हमें स्वयं अनुशासन में रहते हुए प्रकृति एवं ईश्वर के विधि - विधान के अनुरूप श्रेष्ठ कर्म करना चाहिए l
No comments:
Post a Comment