नोबेल पुरस्कार विजेता श्री बर्नार्ड शा ने स्कूल में बहुत कम शिक्षा पाई थी और 16 वर्ष की आयु में ही दफ्तर में क्लर्की करने लगे थे l वे सच्ची और खरी बात कहने , तीखे व्यंग्य द्वारा लोगों को उनकी कमजोरियों का ज्ञान कराने वाले थे l इसलिए वे धीरे - धीरे एक प्रसिद्ध आलोचक और नाटककार बन गए l
बर्नार्ड शा के एक नाटक ' मिसेज वारेन्स प्रोफेशन ' में समाज में फैली वेश्यावृति पर आक्रमण किया गया है l उसमे दिखाया गया है कि जो लोग समाज में ऊपर से ' सज्जन ' और ' सभ्य ' बने रहते हैं , उनमे से कितनों का ही भीतरी जीवन कैसा पतित होता है l इस नाटक की प्रमुख शिक्षा यही है कि --- दुरंगा व्यक्तित्व रखना नीचता का लक्षण है l जो जैसा है उसे वैसा ही जीवन व्यतीत करना चाहिए l
बर्नार्ड शा के एक नाटक ' मिसेज वारेन्स प्रोफेशन ' में समाज में फैली वेश्यावृति पर आक्रमण किया गया है l उसमे दिखाया गया है कि जो लोग समाज में ऊपर से ' सज्जन ' और ' सभ्य ' बने रहते हैं , उनमे से कितनों का ही भीतरी जीवन कैसा पतित होता है l इस नाटक की प्रमुख शिक्षा यही है कि --- दुरंगा व्यक्तित्व रखना नीचता का लक्षण है l जो जैसा है उसे वैसा ही जीवन व्यतीत करना चाहिए l
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